केजरीवाल मामले की पूरी कहानी: गिरफ्तारी से जमानत तक

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं और समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई। यह मामला करीब छह महीने से चर्चा में था, जब से केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। तब से अब तक कानूनी दांव-पेच और राजनीतिक उठा-पटक जारी रही।

केजरीवाल की गिरफ्तारी और जांच की शुरुआत

21 मार्च को केजरीवाल को ED ने गिरफ्तार किया। इससे पहले, उन्होंने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नौ बार ईडी के समन को नजरअंदाज किया था। गिरफ्तारी के बाद से ही उनसे लगातार पूछताछ की गई, जिसमें कई अहम तथ्य सामने आए।

राजनीतिक स्थिति और लोकसभा चुनाव का दबाव

इसी दौरान लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर थीं, और AAP के लिए अपने प्रमुख नेता केजरीवाल की मौजूदगी चुनावी समीकरणों में अहम मानी जा रही थी। पार्टी को यह महसूस हुआ कि अगर केजरीवाल चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाएंगे, तो इससे उन्हें बड़ा राजनीतिक लाभ हो सकता है। इसी रणनीति के तहत केजरीवाल की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया।

सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत दी, जिसमें कहा गया कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही वे समाज के लिए कोई खतरा हैं। इस फैसले ने पार्टी में जोश भर दिया, लेकिन जमानत खत्म होते ही 2 जून को उन्हें फिर से तिहाड़ जेल भेज दिया गया।

सीबीआई का शिकंजा और नए आरोप

इस बीच, 26 जून को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भी इसी मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया। अब वे ईडी और सीबीआई दोनों की हिरासत में थे। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के मामले में उन्हें जमानत दी, लेकिन सीबीआई के केस में कोई राहत नहीं मिली, जिससे वे जेल में ही रहे।

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अगस्त को सीबीआई की गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए केजरीवाल को निचली अदालत से जमानत लेने का निर्देश दिया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की।

सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने 13 सितंबर को अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल को सीबीआई मामले में जमानत दे दी। इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के नेता बेहद खुश नजर आए और इसे ‘सत्य की जीत’ के रूप में देखा जा रहा है।

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