Almora Bus Accident: 200 मीटर गहरी खाई में गिरी बस, 36 की गई जान

Almora Bus Accident: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में सोमवार को हुए दर्दनाक बस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 36 हो गई है। हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर कठोर कदम उठाते हुए सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही के लिए पौड़ी और अल्मोड़ा जिले के एआरटीओ (परिवहन अधिकारी) प्रवर्तन को निलंबित करने का निर्देश दिया है।

मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता का ऐलान

मुख्यमंत्री धामी ने हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। साथ ही, इस दुर्घटना में घायल हुए लोगों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक मदद प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य हादसे से प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत प्रदान करना है।

घटना की होगी मजिस्ट्रेट जांच

मुख्यमंत्री ने कुमाऊं मंडल के आयुक्त को इस बस दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराने के निर्देश दिए हैं। यह जांच हादसे के कारणों और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन की गहराई से पड़ताल करेगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

राहत कार्यों में तेजी लाने का निर्देश

हादसे के बाद मुख्यमंत्री धामी ने राहत और बचाव कार्यों पर प्राथमिकता देते हुए जिला प्रशासन को तेजी से राहत कार्य चलाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री के अनुसार, स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें पीड़ितों के परिवारों को सहायता प्रदान करने में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।

200 मीटर गहरी खाई में गिरी बस, 40 यात्री थे सवार

हादसा उस समय हुआ जब यात्रियों से भरी यह बस गढ़वाल से कुमाऊं की ओर जा रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस में क्षमता से अधिक यात्री सवार थे। कुपेल गांव के पास चालक ने बस से नियंत्रण खो दिया, जिससे यह 200 मीटर गहरी खाई में गिर गई। हादसे में घायल यात्रियों को नजदीकी चिकित्सा केंद्रों तक पहुँचाया जा रहा है।

बचाव कार्यों में जुटी टीम

हादसे के तुरंत बाद उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ, और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमें घटनास्थल पर पहुँचीं। इन टीमों ने खोज और बचाव अभियान चलाया, जिसमें घायलों को चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँचाने और जीवित बचे लोगों को सुरक्षित निकालने का कार्य जारी है। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने घटनास्थल का जायजा लेते हुए पुष्टि की कि बचाव कार्य अभी भी जारी हैं।

इस हादसे ने उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा और क्षमता से अधिक यात्रियों को ले जाने की समस्याओं पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।

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