भागवत चैप्टर 1ः राक्षस कैसी फिल्म हैं? इसका जवाब सिनेप्रेमी जानने चाहते हैं। तो आज हम बात करने जा रहे हैं जी5 पर 17 अक्टूबर 2025 को रिलीज हुई फिल्म “भागवत चैप्टर 1: राक्षस” की। यह फिल्म वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है और एक ऐसे सीरियल किलर की कहानी दिखाती है जो लड़कियों का शिकार करता है। फिल्म में अरशद वारसी इंस्पेक्टर विश्वास भागवत और जितेंद्र कुमार प्रोफेसर समीर के किरदार में नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं कि यह फिल्म दर्शकों को कितना एंटरटेन कर पाती है।
भागवत चैप्टर 1 की कहानी (Plot)
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह साल 2009 में उत्तर प्रदेश के रॉबर्ट्सगंज नामक एक छोटे से शहर में शुरू होती है, जहां एक लड़की पूनम मिश्रा गायब हो जाती है। इस केस की जांच के लिए लखनऊ से एक सख्त और जुर्म के आगे झुकने वाले इंस्पेक्टर विश्वास भागवत (अरशद वारसी) का तबादला इस शहर में कर दिया जाता है।
जैसे-जैसे भागवत जांच को आगे बढ़ाते हैं, उन्हें पता चलता है कि सिर्फ पूनम ही नहीं, बल्कि इसी तरह से कम से कम 18-19 लड़कियां रहस्यमय तरीके से गायब हुई हैं। यह फिल्म की कहानी का सबसे मजबूत पहलू है। वहीं दूसरी ओर कहानी में एक प्रोफेसर समीर (जितेंद्र कुमार) हैं जो दिखने में बिल्कुल साधारण और शांत हैं, लेकिन असल में एक खतरनाक राक्षस हैं।
कहानी में ट्विस्ट के नाम पर कुछ खास नहीं है। फिल्म का पहला आधा हिस्सा दर्शकों को पूरी तरह बांधे रखता है, लेकिन दूसरे हिस्से में कोर्टरूम ड्रामा बेहद पुराना और उबाऊ लगता है। फिल्म का क्लाइमैक्स बहुत पहले ही दर्शकों के सामने आ जाता है, जिससे बाकी का हिस्सा देखने में मजा नहीं आता। कुल मिलाकर कहानी में कुछ नया नहीं है, बल्कि यह पहले देखी हुई फिल्मों जैसी लगती है।
अभिनय (Acting) : अरशद और जितेंद्र ने बांधी बाजी
अरशद वारसी (इंस्पेक्टर भागवत) : अरशद वारसी ने इंस्पेक्टर भागवत के किरदार को जीवंत कर दिया है। वह कॉमेडी की छवि से बिल्कुल अलग एक गंभीर, जिम्मेदार और गुस्सैल पुलिस ऑफिसर के रूप में दिखाई दिए हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि उनका किरदार बिल्कुल असली लगता है, न कि एक सुपरहीरो जैसा। एक रिव्यू में कहा गया है कि “अरशद वारसी ने एक मिड-एज्ड ऑफिसर की भूमिका को बहुत ही विश्वसनीय तरीके से निभाया है।
जितेंद्र कुमार (प्रोफेसर समीर) : जितेंद्र कुमार यानी ‘जीतू भैया’ इस फिल्म में अपनी पंचायत वाली छवि से बिल्कुल अलग एक शातिर और ठंडे दिमाग वाले सीरियल किलर के रूप में नजर आए हैं। उनके चेहरे के हावभाव और आंखों के इशारे डर पैदा करते हैं। दर्शक उनके किरदार से नफरत करेंगे और यही उनकी सफलता है।
सहायक कलाकार : आयेशा कदूसकर ने मीरा के छोटे से रोल में अपनी मासूम अदाकारी से सबका दिल जीत लिया है और उन्हें फिल्म की सबसे अच्छी परफॉर्मेंस में से एक माना जा रहा है।
संगीत और तकनीकी पक्ष (Music & Technical Aspects)
फिल्म का सिनेमैटोग्राफी यानी कैमरा वर्क काफी अच्छा है। छोटे शहरों की स्थितियों, गलियों और वातावरण को कैमरे ने बखूबी कैद किया है, जो कहानी को वास्तविकता प्रदान करता है। हालांकि, कुछ जगहों पर फ्रेम इतने डार्क दिखाए गए हैं कि दर्शकों को ठीक से देखने में दिक्कत होती है।
संगीत और गानों के मामले में फिल्म कमजोर लगती है। रिव्यू के अनुसार फिल्म के सबसे रोमांचक हिस्से में अचानक से एक **5 मिनट का गाना** आ जाता है, जो दर्शकों के उत्साह को तोड़ देता है और कहानी के फ्लो को बाधित करता है।
निर्देशन (Direction) : कहानी पर पकड़ बनी रही, लेकिन…”
निर्देशक अक्षय शेरे ने एक संवेदनशील और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण विषय को उठाया है। फिल्म का पहला हिस्सा उनके निर्देशन का जलवा दिखाता है, लेकिन दूसरे हिस्से में कहानी की पकड़ ढीली पड़ जाती है। कोर्टरूम के दृश्यों को और मजबूत बनाया जा सकता था। कुल मिलाकर, एक नए निर्देशक के तौर पर अक्षय ने बुरा प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन उन्हें अभी और सीखने की जरूरत है।
फिल्म आपको लगभग डेढ़ से दो घंटे तक एंटरटेन करने में सफल रहती है। फिल्म का सबसे बड़ा संदेश यह है कि लड़कियों को किसी अजनबी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और माता-पिता को भी बच्चियों पर नजर रखनी चाहिए। फिल्म का अंत यह संदेश देता है कि अगर हिम्मत से काम लिया जाए तो राक्षस से भी जीता जा सकता है।
कमजोरियां (Weak Points)
- पुरानी कहानी : फिल्म की कहानी में कुछ नया नहीं है, बल्कि यह पहले से बनी बनाई थ्रिलर फिल्मों जैसी लगती है।
- कमजोर अंत : फिल्म का अंत बहुत ही साधारण और उबाऊ है, खासकर कोर्टरूम का हिस्सा।
- तार्किक गड़बड़ियां : फिल्म में कई जगह ऐसी बातें दिखाई गई हैं जो तार्किक रूप से सही नहीं लगतीं। जैसे, 2009 में भी बस अड्डे और होटलों में सीसीटीवी कैमरे होते थे, लेकिन फिल्म में यह नहीं दिखाया गया। एक लड़की के गायब होने के बाद उसके फोन को पुलिस ट्रैक क्यों नहीं करती?
- खलनायक का कमजोर पक्ष : फिल्म यह नहीं दिखा पाती कि आखिर प्रोफेसर समीर इतना बड़ा राक्षस क्यों बना? उसकी मानसिकता के बारे में कोई गहराई नहीं दिखाई गई है।
क्यों देखें और क्यों न देखें ?
क्यों देखें?
1- अरशद वारसी और जितेंद्र कुमार के शानदार अभिनय के लिए |
2- सच्ची घटना पर आधारित झकझोर देने वाले विषय के लिए |
क्यों न देखें?
1- यदि आप नई और अनोखी कहानी की तलाश में हैं |
2- यदि आप एक तेज रफ्तार और मजबूत थ्रिलर चाहते हैं |
रेटिंग (Rating)
फिल्म की कमजोर कहानी और पुराने फॉर्मूले के बावजूद अरशद वारसी और जितेंद्र कुमार के शानदार अभिनय ने इसे देखने लायक बना दिया है। इसलिए, मैं फिल्म “भागवत चैप्टर 1: राक्षस” को 5 में से 2.5 स्टार देना चाहूंगा।
क्या आपने यह फिल्म देखी है? अगर हां, तो नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं।
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प्रश्न : फिल्म “भागवत चैप्टर 1: राक्षस” कहां देख सकते हैं?
जवाब: यह फिल्म सिर्फ जी5 (ZEE5) ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। इसे देखने के लिए आपको सब्सक्रिप्शन लेना पड़ेगा।
प्रश्न :क्या यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है?
जवाब: जी हां, फिल्म वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है जिसमें कई लड़कियों के गायब होने की घटनाएं शामिल हैं।
प्रश्न :क्या जितेंद्र कुमार ने इससे पहले ऐसा रोल किया है?
जवाब: नहीं, पंचायत और कोटा फैक्ट्री जैसी वेब सीरीज में सॉफ्ट इमेज वाले जितेंद्र कुमार ने इस फिल्म में पहली बार एक विलेन का रोल किया है।
प्रश्न :फिल्म की अवधि कितनी है?
जवाब: फिल्म की कुल अवधि 2 घंटे 7 मिनट है।
प्रश्न : क्या फिल्म में कोई सीक्वल आ सकती है?
जवाब: फिल्म के नाम में “चैप्टर 1” लिखा है, जिससे लगता है कि मेकर्स ने आगे और चैप्टर बनाने की योजना बनाई है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

