Ghazipur News: जिले में छठ पूजा के महत्व और भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए, जिलाधिकारी (डीएम) आर्यका अखौरी ने आठ नवंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी है। इस अवकाश का उद्देश्य श्रद्धालुओं को पूजा में सम्मिलित होने और अपने परिजनों के साथ इस पवित्र त्योहार को मनाने का अवसर प्रदान करना है।
डीएम आर्यका अखौरी ने बताया कि गाजीपुर में छठ पूजा बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। श्रद्धालु गंगा घाट, तालाबों और अन्य नदी घाटों पर जाकर सूर्य देव और छठी मइया की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। इस अवसर पर गाजीपुर के सभी प्रमुख घाटों पर भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थिति होती है, जिससे यह त्योहार पूरे जिले में एक विशेष धार्मिक माहौल का निर्माण करता है।
श्रद्धालुओं को पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े, इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से विशेष तैयारियां की गई हैं। गंगा घाटों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिले। इसके साथ ही, घाटों पर पर्याप्त लाइटिंग की व्यवस्था कराई जा रही है ताकि शाम के समय भी भक्तजन आराम से पूजा-अर्चना कर सकें।
सुरक्षा की दृष्टि से भी प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। घाटों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता उपलब्ध हो सके। इसके अलावा, यातायात व्यवस्था भी सुचारू बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा विशेष योजना बनाई गई है ताकि घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर जाम की स्थिति न बने।
डीएम ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई और प्रशासन द्वारा बनाए गए सुरक्षा नियमों का पालन करें। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भक्तों को किसी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है।
छठ पूजा का महत्व और तिथि
छठ पूजा का पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्य देवता की उपासना और छठी मईया को समर्पित है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में लोग उपवास, सूर्य को अर्घ्य, और कठिन नियमों का पालन करते हैं। छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु उगते और ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
इस वर्ष छठ पूजा का मुख्य अर्घ्य 7 नवंबर को सायंकाल और 8 नवंबर को ऊषा अर्घ्य दिया जाएगा।