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Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी पर काशी में गंगा स्नान को उमड़े श्रद्धालु

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Devshayani Ekadashi 2025: सनातन परंपरा में विशेष महत्व रखने वाली देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के पावन अवसर पर रविवार को काशी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही श्रद्धालु दशाश्वमेध, अस्सी और अन्य प्रमुख घाटों पर पहुंचकर गंगा स्नान करने लगे और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की।

श्रद्धालुओं का विश्वास है कि देवशयनी एकादशी के दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। घाटों पर बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी ने आस्था की डुबकी लगाकर तन-मन की शुद्धि का अनुभव किया।

प्रतापगढ़ से आए श्रद्धालु शिवम ने बताया, “एकादशी के दिन गंगा में स्नान करने से पुराने पाप कटते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।” वहीं राजन कुमार ने कहा, “हमने आज अन्न का त्याग किया है, केवल फलाहार करेंगे और पूरे दिन व्रत रखकर विष्णु और भोलेनाथ की पूजा करेंगे।”

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दशाश्वमेध घाट के पुरोहित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि, “यह आषाढ़ महीने की एकादशी है, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन व्रत और पूजा से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।”

घाटों पर सुबह से ही ‘हर हर महादेव’ और ‘नारायण नारायण’ के जयघोष गूंजते रहे। भक्तों ने गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक किया, तुलसी पत्र, पीले फूल और पंचामृत अर्पित किया। कई श्रद्धालुओं ने विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया और गरीबों को भोजन व वस्त्र दान किए।

क्या है देवशयनी एकादशी का महत्व?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं, और चार महीने तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जो अब शुरू हो गया है और 1 नवंबर (देवउठनी एकादशी) तक चलेगा। चातुर्मास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि भगवान विष्णु की अनुपस्थिति में कोई भी शुभ कार्य अधूरा समझा जाता है।

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प्रश्न 1: देवशयनी एकादशी क्या है और इसका महत्व क्या है?

उत्तर: देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। इससे चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिसमें शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं।


प्रश्न 2: देवशयनी एकादशी 2025 में कब है?

उत्तर: साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई (रविवार) को मनाई जा रही है। इसी दिन से चातुर्मास की अवधि आरंभ होती है।


प्रश्न 3: इस दिन गंगा स्नान का क्या महत्व है?

उत्तर: मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान के बाद व्रत और विष्णु पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।


प्रश्न 4: देवशयनी एकादशी पर कौन से कार्य वर्जित होते हैं?

उत्तर: इस दिन से चातुर्मास शुरू हो जाता है, जिसमें विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। भगवान विष्णु की अनुपस्थिति में ये कार्य अधूरे और अशुभ माने जाते हैं।


प्रश्न 5: देवशयनी एकादशी पर कौन-सी पूजा और व्रत विधि अपनाई जाती है?

उत्तर: इस दिन गंगा स्नान, व्रत (फलाहार), विष्णु सहस्रनाम का पाठ, तुलसी पूजा, पंचामृत अभिषेक और दान-पुण्य किए जाते हैं। श्रद्धा से व्रत रखने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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