Dharmendra Biography in Hindi: दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र (Dharmendra) को बुधवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। बॉलीवुड के इस दिग्गज अभिनेता का इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें इलाज के लिए घर ले जाने का फैसला किया है।
डॉ. प्रतित समदानी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “धर्मेंद्र जी को सुबह करीब साढ़े सात बजे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। परिवार ने उन्हें घर पर ही इलाज देने का फैसला किया है, इसलिए उनका इलाज घर पर ही होगा।” बॉलीवुड अभिनेता कई हफ्तों से अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार सुबह उनके निधन की अफवाह भी फैल गई। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर उनको श्रद्धांजलि देने का तांता लग गया। इस बीच मालिनी और उनकी बेटी ईशा देओल ने धर्मेंद्र के निधन की खबरों का खंडन किया। खैर…इस लेख में उनके जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं..
Dharmendra का जन्म और प्रारंभिक जीवन
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता धर्मेंद्र, जिनका असली नाम धर्म सिंह देओल है, का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के साहनेवाल गांव में एक जाट सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता केवल किशन सिंह देओल सरकारी स्कूल में शिक्षक थे, जबकि मां सतवंत कौर एक गृहिणी थीं।
बचपन में धर्मेंद्र को पढ़ाई से ज्यादा फिल्मों में दिलचस्पी थी। वे स्कूल से भागकर फिल्में देखने चले जाते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, ललटन कलां से की, जहां उनके पिता ही हेडमास्टर थे। इसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई रामगढ़िया कॉलेज, फगवाड़ा से की।
धर्मेंद्र ने 12वीं तक पढ़ाई की और आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन सिनेमा के प्रति आकर्षण इतना गहरा था कि उन्होंने पढ़ाई छोड़कर अभिनय का सपना पूरा करने का फैसला किया। अपनी मां के सुझाव पर उन्होंने अपना पोर्टफोलियो फिल्मफेयर न्यू टैलेंट हंट प्रतियोगिता में भेजा और विजेता बने। यही जीत उन्हें मुंबई ले आई, जहां से शुरू हुआ उनका लंबा फिल्मी सफर।
फिल्मी करियर की शुरुआत और संघर्ष के दिन
धर्मेंद्र ने 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास सफल नहीं रही, लेकिन धर्मेंद्र के अभिनय ने इंडस्ट्री का ध्यान खींचा। शुरुआती दौर में उन्होंने शोला और शबनम, अनपढ़ और बंदिनी जैसी फिल्मों से अपनी पहचान बनाई।
1966 में आई फूल और पत्थर धर्मेंद्र के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। यह फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में रही और धर्मेंद्र को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड में नामांकन मिला। इसके बाद उन्होंने एक्शन, रोमांस और कॉमेडी, हर तरह के किरदार में खुद को साबित किया।
‘ही-मैन’ का दौर और सुपरहिट फिल्में
1970 और 1980 के दशक में धर्मेंद्र बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्शन हीरो बन चुके थे। दर्शक उन्हें प्यार से ‘ही-मैन ऑफ बॉलीवुड’ कहने लगे। उनकी सुपरहिट फिल्मों में शोले, सीता और गीता, धरम वीर, प्रतिज्ञा, चरस, चुपके चुपके और यादों की बारात जैसी फिल्में शामिल हैं।
फिल्म शोले में वीरू के किरदार ने धर्मेंद्र को अमर बना दिया। फिल्म की शूटिंग के दौरान कहा जाता है कि धर्मेंद्र हेमा मालिनी को प्रभावित करने के लिए कैमरा क्रू को रिश्वत देकर लाइट्स में गड़बड़ी करवाते ताकि वह हेमा के साथ रोमांटिक सीन के रिटेक्स कर सकें। यही रिश्ता आगे चलकर वास्तविक जीवन में भी जुड़ गया।
Dharmendra का प्रेम, विवाह और पारिवारिक जीवन
साल 1954 में, जब धर्मेंद्र सिर्फ 19 साल के थे, उनकी शादी प्रकाश कौर से कर दी गई। इस विवाह से उन्हें दो बेटे – सनी देओल और बॉबी देओल – और दो बेटियां – विजेता और अजीता देओल – हुए। बाद में फिल्मों के दौरान उनकी मुलाकात हेमा मालिनी से हुई और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया।
साल 1980 में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने शादी कर ली। कहा जाता है कि धर्मेंद्र ने इस्लाम धर्म अपनाया था ताकि पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर सकें, हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया था। हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की दो बेटियां हैं – ईशा देओल और अहाना देओल।
Dharmendra Biography hindi: प्रोडक्शन हाउस और बेटों का लॉन्च
धर्मेंद्र ने सिर्फ अभिनेता के तौर पर ही नहीं, बल्कि निर्माता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस विजेता फिल्म्स के बैनर तले कई फिल्में बनाईं। साल 1983 में बनी बेताब के जरिए उन्होंने अपने बेटे सनी देओल को लॉन्च किया, और 1995 में बरसात से बॉबी देओल को।
बाद में उन्होंने अपने भतीजे अभय देओल को भी सोचा ना था (2005) फिल्म के जरिए मौका दिया। धर्मेंद्र का मानना था कि फिल्में केवल ग्लैमर नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी भी हैं।
Dharmendra Biography: राजनीति में प्रवेश और संसदीय जीवन
2003 में धर्मेंद्र भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और 2004 में राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा सांसद चुने गए। हालांकि संसद में उनकी अनुपस्थिति को लेकर आलोचना भी हुई। चुनाव प्रचार के दौरान दिए एक बयान पर विवाद हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें देश का प्रशासक बना देना चाहिए ताकि वे नागरिकों को लोकतंत्र के शिष्टाचार सिखा सकें। इसके बावजूद, उन्होंने राजनीति में अपनी साफ छवि बनाए रखी।
पुरस्कार और सम्मान
धर्मेंद्र को भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले।
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1991 में उन्होंने बतौर निर्माता घायल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता।
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1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
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2007 में उन्हें IIFA लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला।
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2012 में भारत सरकार ने उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
धन, संपत्ति और लग्जरी जीवन
धर्मेंद्र की नेटवर्थ करीब 500 से 535 करोड़ रुपये आंकी जाती है। उन्होंने अपनी संपत्ति फिल्मों, प्रोडक्शन, विज्ञापनों और निवेशों से अर्जित की। उनके पास लोनावला में 120 करोड़ रुपये का एक भव्य फार्महाउस है, जहां वे अब ज्यादातर समय बिताते हैं। इस फार्महाउस में स्वीमिंग पूल, खेती की जमीन और आधुनिक सुविधाएं हैं।
इसके अलावा उनके पास मुंबई में दो आलीशान घर हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 68 करोड़ रुपये है। ‘सीए नॉलेज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास 17 करोड़ की अन्य संपत्तियां भी हैं, जिनमें खेती की जमीन और एक रिजॉर्ट प्रोजेक्ट शामिल है।
धर्मेंद्र को लग्जरी गाड़ियों का शौक है। उनके पास रेंज रोवर, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, और एक पुरानी फिएट कार भी है जिसे उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में खरीदा था।
शख्सियत, शौक और आदतें
धर्मेंद्र को यात्रा करना, साइकिल चलाना और फिल्में देखना पसंद है। वे 1983 में धूम्रपान छोड़ चुके हैं, हालांकि कभी-कभी शराब पीते हैं। एक इंटरव्यू में दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार ने उनके बारे में कहा था, “भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया होगा इसे।” वहीं जावेद अख्तर ने उन्हें “संवेदनशील अभिनेता और सादगी की मिसाल” बताया था।
धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म
89 वर्ष की उम्र में भी धर्मेंद्र सिनेमा से जुड़े हुए थे। हाल ही में उन्हें करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में देखा गया था, जहां उनके भावनात्मक अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद वे ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में भी नजर आए, जिसमें उनकी सादगी और स्क्रीन प्रेजेंस ने एक बार फिर सबको प्रभावित किया।
धर्मेंद्र की अगली फिल्म ‘इक्कीस’ (2025) थी, जिसमें वे अगस्त्य नंदा के साथ अहम भूमिका में नजर आने वाले थे। यह फिल्म 25 दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, और दर्शक एक बार फिर पर्दे पर अपने पसंदीदा ही-मैन को देखने के लिए उत्साहित थे। धर्मेंद्र ने इसमें खेतपाल का किरदार निभाया है। धर्मेंद्र ने सिर्फ फिल्मों में नहीं, बल्कि अपने जीवन के हर दौर में मेहनत, ईमानदारी और जज्बे से लोगों को प्रेरित करने का काम किया।
धर्मेंद्र की कहानी यह बताती है कि सफलता पाने के लिए जरूरी है सपनों में यकीन और उन्हें पाने की जिद। पंजाब के छोटे से गांव से लेकर मुंबई के फिल्म जगत और संसद तक का उनका सफर भारतीय सिनेमा की सबसे प्रेरक यात्राओं में से एक रहा।









