प्रयागराज: मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ से विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने बुधवार को 2022 के हेट स्पीच मामले में निचली अदालत की ओर से दी गई दो साल की सजा को रद्द कर दिया। इसके साथ ही उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता भी साफ हो गया है।
क्या था मामला?
3 मार्च 2022 को यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अब्बास अंसारी ने मऊ सदर से उम्मीदवार रहते हुए कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर अखिलेश यादव की सरकार सत्ता में आती है तो अधिकारियों को ट्रांसफर से पहले हिसाब देना होगा। भाषण का वीडियो वायरल होने पर इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की शिकायत पर मऊ कोतवाली में FIR दर्ज की गई थी।
मऊ की MP-MLA विशेष अदालत ने 31 मई को अब्बास को दो साल की सजा और 2,000 रुपये जुर्माना लगाया था। उनके चुनाव एजेंट मंसूर को छह महीने की सजा और जुर्माना, जबकि छोटे भाई उमर अंसारी को बरी कर दिया गया था।
इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने 1 जून को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत अब्बास की सदस्यता समाप्त कर दी थी और चुनाव आयोग से उपचुनाव कराने की सिफारिश की थी।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
अब्बास ने पहले जिला जज, मऊ की अदालत में अपील की थी, जिसे 5 जुलाई को खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 30 जुलाई को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बुधवार को हाईकोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश को गलत ठहराते हुए अब्बास की सजा और दोषसिद्धि पर रोक लगा दी।
वकील का बयान
अब्बास की ओर से हाईकोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने कहा, “हाईकोर्ट ने साफ कहा कि सेशन कोर्ट का फैसला गलत था। अब सजा और दोषसिद्धि दोनों पर रोक लग गई है। परिणामस्वरूप उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो जाएगी।”









