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gyanvapu masjid case: सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बीच वाराणसी पहुंची ASI टीम, सोमवार को शुरू होगा ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण

Gyanvap Masjid ASI Survey

gyanvapu masjid case: ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वे के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम रविवार को वाराणसी (varanasi) पहुंच गयी। सर्वेक्षण सोमवार से शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि वाराणसी की जिला अदालत ने 3 अगस्त को रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने यहां बताया कि एएसआई की टीम सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में वजूखाने को छोड़ कर पूरे परिसर का सर्वेक्षण शुरू करेगी। उन्होंने बताया कि एएसआई की टीम सोमवार को सुबह सात बजे से ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण शुरू करेगी। इसमें सभी वादियों के एक-एक अधिवक्ता शामिल रहेंगे।

अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी थी

उल्लेखनीय है कि वाराणसी के जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है।

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है

उधर, मसाजिद समिति के लोग जिला अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। मुस्लिम पक्ष सर्वे कराने के पक्ष में नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने तर्क दिया है कि हिंदू वादी, वाराणसी अदालत के समक्ष दायर अपने मुकदमे के माध्यम से, “अवैध” तरीकों से मस्जिद में प्रवेश की मांग कर रहे हैं।

सोमवार को, समिति सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख करेगी, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली पांच हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता को बरकरार रखा गया था।

मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है?

मस्जिद समिति ने तर्क दिया है कि एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने वाला जिला अदालत का हालिया आदेश स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश की अवमानना है जिसमें कथित शिवलिंग के सर्वेक्षण को स्थगित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एएसआई से ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अंदर ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग नहीं करने को कहा था। इसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर भी रोक लगा दी, जिसमें यह पता लगाने के लिए वैज्ञानिक जांच की अनुमति दी गई थी कि संरचना ‘शिवलिंग’ है या फव्वारा है।

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