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दादा थे स्वतंत्रता सेनानी, परिवार गांधीवादी, फिर मुख्तार अंसारी ने कैसे पकड़ा जुर्म का हाथ?

mukhtar ansari story

Mukhtar Ansari Death News: उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) अब इस दुनिया में नहीं रहे। 60 साल की उम्र में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Death) की बांदा मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया। मुख्तार अंसारी को गुरुवार देर रात हार्ट अटैक आया था जिसके बाद बांदा जेल से उसे मेडिकल कॉलेज शिफ्ट किया गया। मे़डिकल बुलेटिन के मुताबिक, मुख्तार अंसारी को बेहोशी की हालत में 8:25 पर बांदा मेडिकल कॉलेज लाया गया था। मुख्तार को जेल में उल्टी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अंसारी के इलाज में 9 डॉक्टर लगे थे। हालांकि मुख्तार को नहीं बचा सके। इस तरह से यूपी में एक और डॉन का अध्याय हमेशा के लिए समाप्त हो गया।

61 आपराधिक मामले दर्ज थे, 8 मामलों में सजायाफ्ता था मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धोखाधड़ी जैसे 61 आपराधिक मामले दर्ज थे। 8 मामलों में सजायाफ्ता था मुख्तार अंसारी। कई सारे मामले हैं जिनमें गवाही नहीं हो पाई। मुख्तार अंसारी 5 बार विधायक रहे। पंजाब के बाद जब मुख्तार को यूपी के बांदा जेल में शिफ्ट किया गया, तब उनके खिलाफ केस को मजबूत किया गया।

लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, आगरा और दिल्ली जैसे राज्यों में भी क्राइम के मामले में अंसारी के ऊपर कई केस चल रहे थे। 5 बार मऊ से विधायक रहे मुख्तार अंसारी का 2017 का विधानसभा चुनाव अंतिम चुनाव था। देखा जाए तो 2005 से ही वो जेल में थे। लेकिन फिर भी 12 साल तक राजनीति में पूरी तरह सक्रिय रहे। पिछले 2 सालों के अंदर मुख्तार को कई मामलों में दोषी ठहराया गया था। कई मामलों की जांच तेज कर दी गई थी।

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मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे

मुख्तार अंसारी का जन्म 3 जून 1963 को गाजीपुर जिले में हुआ था। अंसारी के पिता का नाम सुभान अल्लाह अंसारी था और उनकी मां का नाम बेगम राबिया। यहां गौरतलब बात है कि जिस मुख्तार अंसारी के परिवार स्वतंत्रता की लड़ाइयां लड़ीं, वह आखिर अपराध की दुनिया में कैसे चला गया (how did Mukhtar Ansari get involved in crime)। मुख्तार अंसारी का परिवार गाजीपुर का प्रतिष्ठित परिवार था।

मुख्तार के दादा ने गांधी के साथ किया था काम

अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी के साथ 1926 और 27 में उन्होंने काफी करीबी से काम किया था। 1926-27 के वक्त वो कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। वहीं मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई में शहीद हुए थे। देशभक्त परिवार से आने वाला मुख्तार अंसारी की हनक और खौफ इतना होता कि लोग उसके आने से रास्ता छोड़ दिया करते थे। हालांकि कइयों के लिए वह फरिश्ता जैसा भी था।

मुख्तार अंसारी ठेकेदारी, खनन, शराब जैसे कई ऐसे व्यापार से जुड़ा रहा

मुख्तार अंसारी ठेकेदारी, खनन, शराब जैसे कई ऐसे व्यापार से जुड़ा रहा जिसमें जमकर पैसा कमाया और अपना एक साम्राज्य खड़ा कर लिया। जानकार मानते हैं कि पूर्वांचल की सियासत में अंसारी ने अपनी सल्तनत भी इन्हीं धंधों के आधार पर खड़ी की थी। 80 के दशक में उसने एक के बाद एक कई बड़े अपराध किए। वह दिनों दिन अपना कूनबा बढ़ाता गया। लेकिन वह जान गया कि राजनीति के बिना वह लंबे समय तक इसमें नहीं टिक सकता। इसके बाद उसने राजनीति में कदम रखा।

भाजपा की मुख्तार ने बढ़ा दी थी परेशानी

मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उसने बनारस में चुनाव लड़ा था। बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर वर्ष 2009 में जबरदस्त चुनावी मुकाबला देखने को मिला था। मुख्तार ने बसपा के टिकट पर बीजेपी के कद्दावर नेता डा.मुरली मनोहर जोशी की परेशानी बढ़ा दी थी। जबरदस्त चुनावी मुकाबले में भाजपा मात्र 17 हजार कुछ वोटों से अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब हुई थी।

कहा जाता है कि अंसारी ने अगर जुर्म की दुनिया में अपना नाम कमाया तो, विधायक रहते हुए उसने अपने लोगों के लिए भी काफी काम किया। वो अमीरों से अगर पैसा लूटाता था तो गरीबों में बांटने का काम भी करता था। सड़कें, पुल से लेकर स्कूल कॉलेज तक उसने अपने इलाके में सब कुछ बनवाया था।

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