लखनऊः राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद (Ayodhya Masjid) मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या के धन्नीपुर (Dhannipur) में मिली जमीन पर मस्जिद निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ धन की कमी से जूझ रहा है। इस जमीन पर मस्जिद के साथ अस्पताल और सामुदायिक रसोई समेत एक वृहद परियोजना का निर्माण कराया जाना है। लेकिन ट्रस्ट ने धन के अभाव के चलते अपनी रणनीति बदल दी है। ट्रस्ट अब मस्जिद समेत इस परियोजना से संबंधित अन्य इमारतों का निर्माण एक साथ कराने की बजाय टुकड़ों में कराएगा।
ट्रस्ट मस्जिद से पहले अस्पताल बनाना चाहता था। लेकिन सभी परियोजन एक साथ शुरू करने चलते डेवलपमेंट चार्ज समेत करोड़ों रुपये बतौर शुल्क चुकाने पड़ेंगे। लेकिन ट्रस्ट के पास धन नहीं है। यही कारण है कि ट्रस्ट टुकड़ों में काम कराने का निर्णय लिया है।
ट्रस्ट के सचिव एवं प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा कि अब हम अस्पताल के बजाय सबसे पहले नये सिरे से मस्जिद का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण में जमा करेंगे। मस्जिद के निर्माण में अपेक्षाकृत काफी कम धन खर्च होगा, जिसका इंतजाम करना आसान रहेगा।
गौरतलब है कि करीब 15,000 वर्ग फीट क्षेत्र में बनने वाली इस मस्जिद के निर्माण पर आठ से 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मस्जिद की बिजली संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति सौर पैनल से होगी, जो इसके गुंबद पर लगाए जाएंगे। अस्पताल का काम अभी रोक दिया गया है क्योंकि इसमें 300 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
नौ नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए देने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। आदेश के अनुपालन में अयोध्या जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या की सोहावल तहसील स्थित धन्नीपुर गांव में जमीन उपलब्ध कराई थी।
मस्जिद निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2020 में ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ का गठन किया था। ट्रस्ट ने दी गई जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक चैरिटी अस्पताल, सामुदायिक रसोईघर, एक पुस्तकालय और एक शोध संस्थान के निर्माण का फैसला किया था। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अयोध्या में जहां राम मंदिर का निर्माण बहुत तेजी से हो रहा है और अगले साल 24 जनवरी को उसे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की तैयारियां जोरों पर हैं। वहीं, धन्नीपुर में मस्जिद का निर्माण अभी शुरू भी नहीं हो सका है।