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Lolark kund: काशी का लोलार्क कुंड जहां सूनी गोद भरती है, चर्म रोग से मिलती है मुक्ति

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लोलार्क कुंड वाराणसी।

Lolark kund:”काश्यां हि काशते काशी सर्वप्रकाशिका…” — शिवनगरी काशी, अपनी आध्यात्मिक गरिमा, पौराणिकता और चमत्कारी स्थलों के लिए विश्वविख्यात है। ऐसा ही एक अद्भुत, रहस्यमय और श्रद्धा से भरा स्थान है लोलार्क कुंड, जिसे लेकर मान्यता है कि यहां स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।

गंगा तट के निकट, भदैनी क्षेत्र में स्थित यह कुंड जितना आकर्षक है, उतना ही इसका पौराणिक महत्व भी गहरा है। यहां हर साल भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को लोलार्क छठ मेले का आयोजन होता है, जिसमें हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। “जय लोलार्क बाबा” के जयघोष के साथ श्रद्धालु रातभर कतारों में खड़े रहते हैं ताकि पुण्य-स्नान का सौभाग्य मिल सके।

सूर्य की पहली किरण और महादेव का सान्निध्य

मान्यता है कि सूर्य की पहली किरण सबसे पहले इसी कुंड पर पड़ती है। कुंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित है लोलार्केश्वर महादेव का मंदिर, जहां दर्शन मात्र से मन को शांति मिलती है।

काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. रत्नेश त्रिपाठी बताते हैं कि इस कुंड का निर्माण गढ़वाल नरेश ने 9वीं शताब्दी में कराया था। वह अपनी सात रानियों के साथ यहां स्नान करने आए थे और संतान प्राप्ति के उपरांत उन्होंने यह कुंड बनवाया। बाद में अहिल्याबाई होलकर ने इसका जीर्णोद्धार कराया।

चमत्कारी जल और किंवदंतियां

स्थानीय निवासी प्रभुनाथ त्रिपाठी के अनुसार, कुंड में नहाना मात्र ही आस्था नहीं, बल्कि मनोकामनाओं की पूर्ति का माध्यम भी है। मान्यता है कि महाभारत काल में कर्ण के कुंडल यहां गिर गए थे, जिससे यह गड्ढा बना और बाद में चमत्कारी जल से भर गया।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक राजा चर्म रोग से पीड़ित थे। जब वह इस स्थान से गुज़र रहे थे तो एक भिश्ती ने यहीं से जल भरकर उन्हें पिलाया, जिससे उनका रोग तत्काल ठीक हो गया।

संतान प्राप्ति की आस्था

जो दंपति संतान की कामना लेकर यहां आते हैं, वे स्नान के बाद कुंड में सीताफल व अन्य प्रतीकात्मक सामग्री अर्पित करते हैं। जब उनकी मनोकामना पूर्ण होती है, तो वे अपने बच्चे का मुंडन संस्कार यहीं करवाते हैं और हलवा-पूरी का प्रसाद बाबा को अर्पित करते हैं।

कुंड में प्रवेश के लिए उत्तर, दक्षिण और पश्चिम तीनों दिशाओं में सीढ़ियां हैं, जबकि पूर्व दिशा में दीवार है, जो इसे एक विशेष आकार और संरचना प्रदान करती है।

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