Maalik Movie Review : नमस्ते फिल्म प्रेमियों! आज हम बात करेंगे फिल्म ‘मालिक’ की, जिसमें बॉलीवुड के वर्सटाइल एक्टर राजकुमार राव एक नए, खूंखार अवतार में नजर आए हैं। तो चलिए, बिना देर किए जानते हैं कि यह गैंगस्टर ड्रामा हमें कितना प्रभावित कर पाया।
Maalik Movie की कहानी
‘मालिक’ एक गैंगस्टर की कहानी है। यह कहानी 1988 की है। दीपक उर्फ मालिक (राजकुमार राव) इलाहाबाद का एक बदमाश है। उसे वहां के एक नेता डड्डा (सौरभ शुक्ला) का पूरा साथ मिलता है। डड्डा एक विधायक बल्हार सिंह (स्वानंद किरकिरे) को भी आगे बढ़ाता है, लेकिन अब वह मालिक की बढ़ती ताकत से परेशान हो गया है।
एक दिन जब एक पुलिसवाला मालिक के ट्रकों को रोकता है, तो मालिक उसे मार डालता है। इसके बाद विधायक परेशान होकर प्रभु दास (प्रसेनजीत चटर्जी) को इलाहाबाद का नया पुलिस कप्तान बनाता है। प्रभु दास पहले ही 98 अपराधियों का एनकाउंटर कर चुका है और इसी वजह से वह निलंबित भी हो चुका था।
इलाहाबाद पहुंचकर प्रभु दास ठान लेता है कि अब वह मालिक को हमेशा के लिए खत्म करेगा। जब मालिक उसके पोते को धमकी देता है, तब यह लड़ाई और भी गंभीर हो जाती है।
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ज्योत्सना नाथ और पुलकित की कहानी कुछ खास नहीं है। यह वैसी ही है जैसी हम पहले भी कई गैंगस्टर फिल्मों में देख चुके हैं। कहीं-कहीं स्क्रिप्ट ठीक है, लेकिन ज्यादातर जगहों पर नया कुछ नहीं लगता। फिल्म के संवाद (डायलॉग्स) अच्छे हैं और असर छोड़ते हैं।
पुलकित का निर्देशन (डायरेक्शन) ठीक है। उन्होंने फिल्म को आम दर्शकों के हिसाब से बनाया है और उसमें एक्शन और मसाला डाला है। उन्होंने मुख्य कलाकारों से अच्छा अभिनय करवाया है। इंटरवल से पहले का सीन दर्शकों को बांधता है।
दूसरे भाग में शालिनी (मानुषी छिल्लर) की कहानी पहले ज़बरदस्ती लगती है, लेकिन बाद में वही फिल्म का सबसे अच्छा हिस्सा बन जाती है।
लेकिन नकारात्मक बात यह है कि, ऐसी कहानियाँ हमने पहले भी फिल्मों जैसे ‘वास्तव’, ‘शूटआउट’ और वेब सीरीज़ में देखी हैं। फिल्म का दूसरा भाग बहुत लंबा है (लगभग 90 मिनट) और कुछ जगहों पर बोर भी करता है। फिल्म का अंत पुराने मकान वाले हिस्से पर होना चाहिए था, लेकिन कोलकाता वाला सीन बेवजह और बेकार लगता है।
Maalik Review Hindi: कलाकारों का अभिनय
राजकुमार राव हमेशा की तरह बेहतरीन एक्टिंग करते हैं। जब वह एक साथ चार लोगों को फांसी देते हैं, वह सीन याद रह जाता है। मानुषी छिल्लर की भूमिका शुरू में छोटी है, लेकिन बाद में वह काफी असरदार लगती हैं। अंशुमान पुष्कर (बदायूं) का रोल छोटा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है। फिल्म में प्रसेनजीत चटर्जी का काम ठीक-ठाक है, लेकिन उनका रोल थोड़ा और बड़ा हो सकता था। सौरभ शुक्ला, स्वानंद किरकिरे और अन्य कलाकारों ने हमेशा की तरह अच्छा काम किया है। हुमा कुरैशी एक गाने में दिखाई देती हैं और बहुत सुंदर लगती हैं।
Maalik ka Hindi Review: संगीत और तकनीकी पक्ष
गाने इतने अच्छे नहीं हैं। ‘नामुमकिन‘ थोड़ा अच्छा लगता है क्योंकि इसे अच्छे से फिल्माया गया है। ‘दिल थाम के‘ याद नहीं रहता। ‘राज करेगा मालिक‘ फिल्म के माहौल से मेल नहीं खाता। कैमरा वर्क (cinematography) ठीक है। कॉस्ट्यूम और सेट सादे और असली लगते हैं। एक्शन थोड़ा ज्यादा खून-खराबे वाला है। एडिटिंग और अच्छी हो सकती थी।
⭐रेटिंग: 2.5 / 5 ⭐
कुल मिलाकर Maalik फिल्म में राजकुमार राव का नया अवतार देखने को मिलता है। लेकिन उसकी शानदार एक्टिंग के पीछे फिल्म की कहानी बहुत पुरानी और बार-बार देखी हुई लगती है। अगर आपके पास समय है और आप गैंगस्टर फिल्मों के शौकीन हैं, तो एक बार देख सकते हैं, खासकर सिंगल स्क्रीन सिनेमा में।
‘मालिक’ की कहानी में भले ही दम ना हो, लेकिन एक बार फिर राजकुमार राव ने अपने अभिनय से लोगों को अपना दीवाना बना दिया है। वहीं, सैकनिल्क की रिपोर्ट के अनुसार, फिल्म ने 4 बजे तक 1.33 करोड़ रुपये का बिजनेस कर लिया है।
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क्या ‘मालिक’ फिल्म देखने लायक है?
हाँ, अगर आप गैंगस्टर और एक्शन फिल्मों के शौकीन हैं और राजकुमार राव का अभिनय पसंद करते हैं, तो एक बार देख सकते हैं। लेकिन कहानी में ज्यादा नयापन नहीं है। -
‘Maalik’ फिल्म किसके ऊपर आधारित है?
फिल्म एक काल्पनिक गैंगस्टर दीपक उर्फ मालिक की कहानी पर आधारित है, जो 1988 के इलाहाबाद में अपना दबदबा बनाता है। -
क्या ‘मालिक’ की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है?
नहीं, यह फिल्म पूरी तरह काल्पनिक है, लेकिन इसका स्टाइल और प्लॉट कई असली घटनाओं और वेब सीरीज़ (जैसे ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’) से प्रेरित लगता है। -
फिल्म ‘मालिक’ का सबसे दमदार हिस्सा कौन सा है?
राजकुमार राव का अभिनय, खासकर जब वह चार लोगों को एक साथ फांसी देता है, और दूसरा हाफ में शालिनी का ट्रैक। -
क्या ‘मालिक’ बच्चों के लिए उपयुक्त है?
नहीं, यह फिल्म हिंसा और गैंगस्टर विषय पर आधारित है, इसलिए यह बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती।