वाराणसी: मऊ जिले की एमपी-एमएलए विशेष अदालत (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) ने शनिवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक और दिवंगत माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को वर्ष 2022 में दिए गए ‘हिसाब-किताब’ बयान के नफरती भाषण मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाई है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कृष्ण प्रताप सिंह ने अब्बास को IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अधिकतम दो वर्ष की सज़ा और 3,000 रुपये जुर्माना सुनाया। इसके साथ ही अन्य धाराओं के अंतर्गत भी उन्हें अलग-अलग अवधि की सजाएं दी गईं, जो साथ-साथ चलेंगी।
फैसला सुनाए जाने के समय अब्बास अंसारी अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित थे। उनकी उपस्थिति को देखते हुए अदालत परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
क्या था मामला?
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से सपा-एसबीएसपी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे। 3 मार्च 2022 की रात उन्होंने मऊ के पहाड़पुर क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कथित रूप से प्रशासनिक अधिकारियों को धमकी दी थी।
उन्होंने मंच से कहा था, सरकार बनने के बाद छह महीने तक अफसरों का तबादला न हो, पहले उन्हें अपने पिछले कार्यकाल का हिसाब देना होगा, तब ही ट्रांसफर ऑर्डर साइन होंगे।
इस भाषण का वीडियो क्लिप वायरल हो गया था, जिसके बाद 4 मार्च को मऊ पुलिस ने अब्बास, उमर और मंसूर के खिलाफ IPC की धारा 171F (चुनावी अनुचित प्रभाव) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत केस दर्ज किया।
बाद में कानूनी राय लेने के बाद पुलिस ने इन धाराओं में और भी गंभीर धाराएं जोड़ीं- धारा 153A – धर्म या जाति के आधार पर विद्वेष फैलाने के लिए। धारा 186 – लोक सेवक के कार्य में बाधा डालना। धारा 189 – लोक सेवक को नुकसान की धमकी देना, धारा 120B – आपराधिक साजिश।
मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर अब्बास अंसारी पर 24 घंटे का प्रचार प्रतिबंध भी लगाया था। बाद में, 19 अप्रैल को मऊ की CJM (एमपी-एमएलए कोर्ट) श्वेता चौधरी ने अब्बास की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।