Munawwar Rana Best Shayari: इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है…मुनव्वर राणा के मशहूर शेर-ओ-शायरी

Munawwar Rana Best Shayari: मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन हो गया है। उन्होंने 14 जनवरी, 2024 को लखनऊ के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 71 वर्ष के थे। राणा को पेट और किडनी की तकलीफ के बाद 29 दिसंबर, 2023 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। मशहूर शायर, उर्दू कवि मुनव्वर राणा की शायरी किसी भी दिल को पिघला सकती है। मुनव्वर राणा अपनी शक्तिशाली आवाज और मार्मिक छंदों के लिए जाने जाते थे जो जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को पसंद आते थे। वह उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले थे और चार दशकों से अधिक समय से अपने मुशायरों (कविता सभाओं) से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते रहे। वह पिछले साल मई में भी बीमार पड़े थे।

26 नवंबर 1952 को जन्मे मुनव्वर ने बहुत से विषयों को अपनी लेखनी और शायरी में पिरोया लेकिन माँ पर लिखी उनकी शायरी लोगों के दिलों को पिघला देती है।  मुनव्वर राणा अपनी माँ से बेइंतहा मोहब्बत करते थे।  यही वजह रही कि शायरी में उन्होंने माशुका से ज्यादा माँ को तवज्जो दी। 2016 में उनकी मां का देहांत हो हुआ। तब मुनव्वर राणा ने कहा था कि मां इतने साल जिंदा रहीं, क्योंकि वे उन्हें कहते थे ‘अगर तू चली गई, तो पीछे-पीछे मैं भी चला आऊंगा।’ मुनव्वर राणा की माँ पर लिखी कविता उनकी सबसे करीब शायरी में से एक है। हालांकि उन्होंने चार दशकों में अपने चाहने वालों को एक से बढ़कर एक शेर, गजल, नज्म दिए। यहां उन्हीं में से कुछ अच्छे शायरी का जिक्र करने जा रहे हैंः

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Munawwar Rana Shayari

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई

अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में कर परेशान करो

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक मां है जो कभी ख़फ़ा नहीं होती
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है।

मुनव्वर राणा के मशहूर शेर (Munawwar Rana Famous Sher)

अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है

सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते

एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना

‘हमारे कुछ गुनाहों की सजा भी साथ चलती है.
हम अब तनहा नहीं चलती दवा भी साथ चलती है
अभी ज़िंदा है मां मेरी मुझे कुछ नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है’

Famous Shayari Munawwar Rana

कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है

तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे फ़लक
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी

मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

मुनव्वर राणा गजल (Munawwar Rana Ghazal)

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए
ऐरे-ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों
आप को औरत नहीं अख़बार होना चाहिए
ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें
टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए 

मुनव्वर राणा को साहित्यिक सम्मान: Literary honor to Munawwar Rana

मुनव्वर राणा को उनकी साहित्यिक प्रतिभा के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 2014 में उनके संग्रह “शाहदाबा” के लिए भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्हें मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार, सरस्वती समाज पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।

मुनव्वर राणा की लेखन शैली और विषय-वस्तु Munawwar Rana’s writing style and content

राणा की कविता उर्दू और हिंदी को खूबसूरती से मिश्रित करती है, जिससे यह व्यापक दर्शकों के लिए सुलभ हो जाती है। वह प्रेम और हानि से लेकर सामाजिक टिप्पणी और दार्शनिक आत्मनिरीक्षण तक विविध विषयों से निपटता है। उनकी कुछ सबसे मशहूर कृतियों में “मां” (मां), “मुहाजिरनामा” (द बुक ऑफ द इमिग्रेंट्स), “घर अकेला हो गया” (द हाउस बिकम लोनली), और “पीपल छांव” (द शेड ऑफ द पीपल ट्री) शामिल हैं। )

मुनव्वर राणाः विवाद और निजी जीवन Munawwar Rana: Controversy and personal life

राणा कई बार सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने बेबाक विचारों से विवादों में भी रहे हैं। 2021 में उनके बेटे तबरेज़ राणा संपत्ति विवाद और कानूनी आरोपों में फंस गए थे। वहीं सीएम योगी और भाजपा पर दिए अपने विवादित बयान को लेकर भी कई बार सुर्खियों में रहे। उन्होंने 2022 के चुनाव में कहा कि इस बार यूपी में योगी की सरकार बनी तो मैं पलायन कर लूंगा। मुनव्वर राणा यूपी सरकार पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था- मेरे खिलाफ कई एफआइआर दर्ज किए गए। इसके साथ ही मेरे बेटे को पकड़ा गया। वर्तमान सरकार पलायन-पलायन रट रही है, लेकिन इनकी वजह से काफी लोग परेशान हैं। बीजेपी सरकार मुसलमानों में इतना खौफ है कि कोई बोल ही नहीं सकता है।

अन्य जानकारियां

अपनी कविता के अलावा, राणा ने अभिनय और गीत लेखन में भी हाथ आजमाया था। उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं और यहां तक कि फिल्म “कभी हां कभी ना” में एक छोटी सी भूमिका भी निभाई थी।

 

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