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Munawwar Rana Passes Away: चला गया ‘माँ’ पर लिखने वाला अजीम शायर मुनव्वर राणा…पीएम मोदी ने जताया दुख

Munawwar Rana Passes Away : मशहूर शायर मुनव्वर राणा का 14 जनवरी, 2024 को लखनऊ के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। राणा को पेट और किडनी की तकलीफ के बाद 29 दिसंबर, 2023 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

Munawwar Rana Death

मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर, 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा रायबरेली से पूरी की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1970 के दशक में कविता लिखना शुरू किया और जल्द ही हिंदी साहित्य में एक प्रमुख हस्ताक्षर बन गए।

मुनव्वर राणा के निधन से हिंदी साहित्य जगत में एक युग का अंत हो गया है। वह एक प्रतिभाशाली शायर थे, जिनकी कविताएँ आम आदमी की जिंदगी को दर्शाती हैं। उनकी कविताएँ अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी आधारित होती हैं। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री शामिल हैं।

मुनव्वर राणा के निधन से हिंदी साहित्य जगत में एक बड़ी क्षति हुई है। वह एक प्रतिभाशाली शायर थे, जिनकी कविताएँ हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी।

मुनव्वर राणा की कुछ प्रसिद्ध कविताएँ:

Munawwar Rana Best Shayari: इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है…मुनव्वर राणा के मशहूर शेर-ओ-शायरी

मुनव्वर राणा के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

मुनव्वर राणा को श्रद्धांजलि

मुनव्वर राणा के निधन पर कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “मुनव्वर राणा जी की मृत्यु से दुखी हूं। वह एक प्रतिभाशाली शायर थे, जिनकी कविताएँ आम आदमी की जिंदगी को दर्शाती हैं। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत में एक बड़ी क्षति हुई है।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “मुनव्वर राणा जी एक महान शायर थे, जिनकी कविताएँ हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत में एक बड़ी क्षति हुई है।”

मुनव्वर राणा की लेखन शैली और विषय-वस्तु Munawwar Rana’s writing style and content

राणा की कविता उर्दू और हिंदी को खूबसूरती से मिश्रित करती है, जिससे यह व्यापक दर्शकों के लिए सुलभ हो जाती है। वह प्रेम और हानि से लेकर सामाजिक टिप्पणी और दार्शनिक आत्मनिरीक्षण तक विविध विषयों से निपटता है। उनकी कुछ सबसे मशहूर कृतियों में “मां” (मां), “मुहाजिरनामा” (द बुक ऑफ द इमिग्रेंट्स), “घर अकेला हो गया” (द हाउस बिकम लोनली), और “पीपल छांव” (द शेड ऑफ द पीपल ट्री) शामिल हैं। )

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