Parama Ekadashi Vrat Katha: व्रत रखने से पहले जान लें परमा एकादशी की कथा

Parama Ekadashi Vrat Katha: परमा एकादशी व्रत हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है जो भगवान विष्णु (Vishnu) की पूजा और भक्ति के लिए समर्पित है। यह व्रत भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अद्वितीय अवसर है। परमा एकादशी (Parama Ekadashi) के व्रत के द्वारा भक्त अपने मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति को सुधार सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

परमा एकादशी की कथा भगवान विष्णु के भक्त राजा युधिष्ठिर के द्वारा महाभारत के वनवास के समय कही जाती है। यह कथा भगवान विष्णु की प्रिय व्रतों में से एक है और विशेष रूप से उपवास की महत्वपूर्णता को दर्शाती है।

परमा एकादशी कथा (Parama Ekadashi Katha):

द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर और उनके भाइयों को महाभारत के युद्ध से पहले 12 वर्षों के वनवास की सजा दी गई। वनवास के दौरान उन्होंने अपने गुरु द्रोणाचार्य से ज्ञान प्राप्त किया और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की। उनके गुरु द्रोणाचार्य ने उन्हें परमा एकादशी के व्रत का महत्व और फल का वर्णन किया।

इसे भी पढ़ेंः Parama ekadashi vrat: पाप, धन संकट, दरिद्रता से पाना चाहते हैं मुक्ति तो रखें यह व्रत; जानें शुभ मुहूर्त व पूरी पूजा विधि

एक बार, युधिष्ठिर ने गुरु द्रोणाचार्य से परमा एकादशी के व्रत के बारे में सुना और उन्हें व्रत की कथा के बारे में पूछा। गुरु द्रोणाचार्य ने उन्हें व्रत की महत्वपूर्ण कथा सुनाई:

प्राचीन काल में एक राजा राज्य कर रहे थे, जिनका नाम सुमेधा था। वह राजा धार्मिक और उदार व्यक्तित्व के थे, लेकिन उनका राज्य विपत्तियों में आ गया था और उनका संपत्ति सम्पूर्ण रूप में खत्म हो गया था। वे और उनकी पत्नी बहुत गरीब हो गए थे और उनके पास कुछ खाने का भी सामग्री नहीं था।

एक दिन परमा एकादशी के दिन, सुमेधा ने अपने पत्नी के साथ राजा के दरबार में आकर भिक्षा मांगी। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करते हुए भिक्षा करने से उनकी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

सुमेधा ने अपनी आंखों में आंसू और अपने मन में भगवान विष्णु की भक्ति के साथ भिक्षा के लिए दरबार में गए। राजा ने उन्हें देखकर उन्हें अपने पास बुलाया और उन्हें आदर से स्वागत किया। राजा ने उन्हें अपने साथ बैठने के लिए आदरित किया और उन्हें भोजन का आमंत्रण दिया।

सुमेधा ने अपनी गरीबी के बावजूद..

सुमेधा ने अपनी गरीबी के बावजूद राजा के आदर से स्वागत की और उनके घर आकर उन्हें जो कुछ था, उसे प्रस्तुत किया। राजा ने भोजन के समय परमा एकादशी के व्रत के फल के बारे में सुमेधा से पूछा और उन्हें व्रत की महत्वपूर्णता बताई।

सुमेधा ने अपने गरीबी के बावजूद राजा के साथ समय बिताया और उनके घर लौटते समय वे देखते हैं कि उनके घर में आपूर्ति और समृद्धि आ गई है। उनका मुकुट सजीव हो गया है, उनके घर में खाने की सामग्री बढ़ गई है और उनकी गरीबी का समापन हो गया है।

एकादशी कथा से प्राप्त सीख:

यह कथा दिखाती है कि परमा एकादशी के व्रत के द्वारा भक्त की आध्यात्मिक और आर्थिक समृद्धि होती है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति का माध्यम होता है और भक्त के जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रवृत्त करता है।

परमा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Parma Ekadashi 2023 auspicious time)

अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का प्रारंभ: 11 अगस्त 2023, शुक्रवार, सुबह 05:06 बजे से
अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का समापन: 12 अगस्त 2023, शनिवार, सुबह 06:31 बजे
परमा एकादशी पूजा मुहूर्त: 12 अगस्त 2023 , सुबह 07:28 बजे से सुबह 09:07 बजे तक
परमा एकादशी व्रत पारण समय: 13 अगस्त 2023, रविवार, सुबह 05:49 बजे से सुबह 08:19 बजे

Leave a Comment