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Parama ekadashi vrat: पाप, धन संकट, दरिद्रता से पाना चाहते हैं मुक्ति तो रखें यह व्रत; जानें शुभ मुहूर्त व पूरी पूजा विधि

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Parama ekadashi vrat: परमा एकादशी व्रत (व्रत) भारतीय हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण एक व्रत है जो भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति के लिए मनाया जाता है। यह व्रत हर साल हिन्दू पंचांग के आधार पर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का मान्यता से पालन करने से भक्त के पापों का क्षय होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

परमा एकादशी का महत्व:

परमा एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है जो भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति के लिए मनाया जाता है। यह व्रत भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अद्वितीय अवसर है। परमा एकादशी के व्रत के द्वारा भक्त अपने मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति को सुधार सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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इस व्रत का महत्व वेदों में वर्णित है और इसका पालन करने से व्यक्ति की पापों की महत्वपूर्ण श्रेयस्कर गुणा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और भक्त उनके चरणों में अपने मन की शुद्धि और श्रद्धा का प्रतीक स्थापित करते हैं।

परमा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Parma Ekadashi 2023 auspicious time)

अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का प्रारंभ: 11 अगस्त, शुक्रवार, सुबह 05:06 बजे से
अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का समापन: 12 अगस्त, शनिवार, सुबह 06:31 बजे
परमा एकादशी पूजा मुहूर्त: 12 अगस्त, सुबह 07:28 बजे से सुबह 09:07 बजे तक
परमा एकादशी व्रत पारण समय: 13 अगस्त, रविवार, सुबह 05:49 बजे से सुबह 08:19 बजे

पूजा विधि (Parama ekadashi puja vidhi) :

  1. उपवास (व्रत): परमा एकादशी के दिन उपवास का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत निराहार या नीराहार भोजन के साथ मनाया जा सकता है।
  2. पूजा और आराधना: पूजा के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति, चित्र, या प्रतिमा को सजाकर रखें। उन्हें फूल, दीपक, अगरबत्ती, वस्त्र, और अच्छे खासे भोजन से भोग दें।
  3. विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठ: परमा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से आत्मा की शुद्धि होती है और आध्यात्मिक विकास होता है।
  4. भगवद गीता का पाठ और सुन्दरकाण्ड पाठ: पूजा के साथ-साथ भगवद गीता के अध्याय या सुन्दरकाण्ड का पाठ करना भी उपयुक्त होता है।
  5. दान और चारित्रिक आचरण: परमा एकादशी के दिन दान देना और अन्य गरीबों की सहायता करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह धार्मिक कर्म का एक अहम हिस्सा है और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है।

परमा एकादशी का व्रत अपने आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह व्रत भक्ति, पूजा, और सेवा के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने का अद्वितीय अवसर है।

परमा एकादशी व्रत के फायदे/लाभ (Parama ekadashi benefits)

परमा एकादशी के व्रत के पालन से व्यक्ति कई शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति और आत्मा की शुद्धि के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधारने में मदद करता है।

कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. आध्यात्मिक उन्नति: परमा एकादशी के व्रत के पालन से आध्यात्मिक उन्नति होती है। व्रती भगवान की पूजा और आराधना में विशेष रूप से लगे रहते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति और सुकून मिलता है।
  2. पापों का क्षय: परमा एकादशी के व्रत के द्वारा व्यक्ति के पापों का क्षय होता है। यह व्रत पुराने कर्मों के बोझ को कम करने में मदद करता है और उनकी आत्मा को मुक्ति की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रदान करता है।
  3. शारीरिक स्वास्थ्य: व्रत के पालन से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होती है। नियमित उपवास और सात्विक आहार से व्यक्ति के शरीर में आनंद, ऊर्जा, और प्राण बढ़ते हैं।
  4. मानसिक शांति: व्रती के मन में शांति और सुकून की भावना आती है। व्रत के दौरान भगवान की पूजा और भक्ति करने से मानसिक चिंताएँ कम होती हैं और उनका मन शांत होता है।
  5. आध्यात्मिक ज्ञान: परमा एकादशी के व्रत के द्वारा व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। व्रती भगवान की कथाओं, पुराणों, और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करके आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि करते हैं।
  6. कर्मों का समापन: व्रती के पालन से उनके कर्मों का समापन होता है और वे आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं।
  7. संयम और सेल्फ-कंट्रोल: उपवास के द्वारा व्रती अपने संयम और सेल्फ-कंट्रोल को मजबूती देते हैं। वे खाने-पीने में संयम रखते हैं और अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना सिखते हैं।
  8. आशीर्वाद प्राप्ति: परमा एकादशी के व्रत के पालन से भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। व्रती अपने मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भगवान की आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

 

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