SS Rajamouli announces Made In India: एस.एस. राजमौली ने मंगलवार को घोषणा की कि वह ‘भारतीय सिनेमा के जनक’ दादासाहेब फाल्के (dadasaheb falke) पर फिल्म बनाएंगे, जिसका नाम “मेड इन इंडिया” होगा। ‘आरआरआर’ के निर्देशक ने कहा कि जब उन्होंने कहानी सुनी तो वह भावुक हो गए।
राजामौली ने ‘एक्स’ पर लिखा, “जब मैंने पहली बार कहानी सुनी, तो मैं भावुक हो गया। किसी के जीवन पर फिल्म बनाना अपने आप में काफी कठिन काम है, लेकिन भारतीय सिनेमा के जनक पर फिल्म बनाना तो और भी मुश्किल है। हमारे साथी इसके लिए तैयार हैं। बेहद गर्व के साथ, प्रस्तुत है ‘मेड इन इंडिया’।”
When I first heard the narration, it moved me emotionally like nothing else.
Making a biopic is tough in itself, but conceiving one about the FATHER OF INDIAN CINEMA is even more challenging. Our boys are ready and up for it..:)
With immense pride,
Presenting MADE IN INDIA… pic.twitter.com/nsd0F7nHAJ— rajamouli ss (@ssrajamouli) September 19, 2023
बता दें फिल्म का निर्देशन नितिन कक्कड़ करेंगे। यह निर्माता के तौर पर राजामौली के बेटे कार्तिकेय की पहली फिल्म होगी। उन्होंने ‘आरआरआर’ में लाइन प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया था। ‘भारतीय सिनेमा के जनक’ कहे जाने वाले दादासाहेब फाल्के ने साल 1913 में राजा हरिशचंद्र के नाम से भारत की पहली फीचर फिल्म बनाई थी। मौजूदा महाराष्ट्र के ट्रिंबक में जन्मे दादासाहेब फाल्के का वास्तविक नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के था।
दादा साहेब का प्रारम्भिक जीवन (Dada Saheb’s Childhood & Early Life)
दादासाहेब ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा 1885 में सर.जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, मुंबई से ली थी। साल 1890 में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी और फिर बडौदा में कला भवन में प्रवेश लिया। फाल्के ने स्नातक पूरी करने के बाद फोटोग्राफर, ड्राफ्ट्समैन जैसे कई काम किए।फाल्के ने लिथोग्राफी और ओलियोगग्राफ में स्पेशलाइजेशन भी किया था।
30 अप्रैल 1870 को जन्में दादा साहेब ने 1913 में “राजा हरीशचंद्र” नाम की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई थी। इसी फिल्म से भारत में सिनेमा की शुरुआत हुई थी। इसलिए उनके नाम से एक अवॉर्ड की शुरुआत की गई। राजा हरिश्चन्द्र भारतीय सिनेमा के लिए दिया गया उनका अविस्मरणीय योगदान हैं। ये पहली चलती-फिरती दिखाई देने वाली फिल्म थी, जिसने देश में फिल्ममेकिंग की नींव रखी थी। फाल्के ने अपने प्रोजेक्ट के लिए प्रोड्क्शन, राइटिंग और डायरेक्शन सब कुछ किया था,उन्होंने खुद एक सेट तैयार किया था और 7 महीने 21 दिन तक शॉट लिया था।
दादा साहेब के पूरा परिवार ने उनकी लिजेंड्री फिल्म राजा हरिश्चन्द्र बनाने में सहयोग दिया था, उनकी पत्नी ने कलाकारों के कपड़े डिजाइन किए थे और पूरी कास्ट और और फिल्म में काम करने वाले सदस्यों के लिए खाना बनाया था। जबकि उनके बेटे ने मूवी में हरिश्चन्द्र के बेटे का किरदार निभाया था. हरिश्चन्द्र मूवी में महिला किरदार तारामती के लिए भी पुरुष को ही चुना गया था क्योंकि तब कोई भी महिला फिल्मों में काम करने को तैयार नहीं हो सकती थी। दादा साहेब ने हरिश्चन्द्र फिल्म पर 15000 रूपये लगाये थे।
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