Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Review in Hindi: शशांक खैतान के निर्देशन में बनी “सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी” एक रंगीन और हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी है, जो दर्शकों को उदयपुर की शादियों, रिश्तों के उलझाव और हंसी-मजाक के सफर पर ले जाती है। फिल्म में वरुण धवन और जाह्नवी कपूर की जोड़ी दर्शकों को एंटरटेन तो करती है, लेकिन कहानी के स्तर पर कुछ खास नया नहीं देती।
कहानी (Plot)
कहानी दिल्ली के सनी संस्कारी (वरुण धवन) से शुरू होती है, जिसका दिल तब टूट जाता है जब उसकी गर्लफ्रेंड आनन्या (सान्या मल्होत्रा) परिवार के दबाव में अमीर विवेक (रोहित सराफ) से शादी कर लेती है। दिलचस्प मोड़ तब आता है जब पता चलता है कि विवेक ने भी अपनी प्रेमिका तुलसी कुमारी (जाह्नवी कपूर) को छोड़ दिया है। अब सनी और तुलसी एक साथ मिलकर उदयपुर में होने वाली आनन्या-विवेक की शादी में शामिल होते हैं, ताकि उन्हें जलाकर शादी तोड़ दें और अपने पुराने प्यार को वापस पा सकें।
कहानी में कोई चौंकाने वाला ट्विस्ट नहीं है। ट्रेलर ही बहुत कुछ बता देता है, जिससे दर्शक आसानी से अंदाजा लगा लेते हैं कि आखिरकार सनी और तुलसी के बीच प्यार पनपेगा। फिल्म की असली ताकत इसके कॉमिक और रोमांटिक पल हैं, सस्पेंस नहीं। हालांकि, दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी बिखर जाती है और चारों किरदारों के रिश्ते उलझन भरे लगने लगते हैं।
अभिनय:
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वरुण धवन अपने पुराने ‘हंप्टी शर्मा’ और ‘बद्रीनाथ’ वाले अंदाज में लौटे हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और इमोशनल सीन्स दोनों ही मजबूत हैं।
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जाह्नवी कपूर तुलसी के किरदार में मासूम और ईमानदार दिखती हैं, हालांकि कुछ इमोशनल सीन्स में असर कमजोर है। वरुण के साथ उनकी केमिस्ट्री और डांस एनर्जी फिल्म का प्लस पॉइंट है।
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सान्या मल्होत्रा और रोहित सराफ अपने किरदारों को बखूबी निभाते हैं।
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मनीश पॉल और अन्य सहायक कलाकार हल्के-फुल्के पल लाते हैं, लेकिन कुछ किरदार अधूरे लगते हैं।
निर्देशन (Direction)
शशांक खैतान अपनी पसंदीदा रोमांटिक कॉमेडी जॉनर में लौटे हैं और फिल्म को हल्का-फुल्का बनाए रखने में सफल रहे हैं। इशिता मोइत्रा के लिखे डायलॉग लगातार हंसी का माहौल बनाए रखते हैं। हालांकि, स्क्रिप्ट कई जगहों पर भव्य सेट्स और शादी के शोरगुल के बीच कमजोर पड़ जाती है।
क्लाइमेक्स जल्दबाजी में निपटाया गया लगता है और परिवार के किरदारों को गहराई नहीं दी गई, जिसकी वजह से फिल्म का मूल संदेश – “प्यार को परिवार के दबाव में ना छोड़ें” – उतनी मजबूती से नहीं उभरता।
पहला हाफ मजेदार और रफ्तार से भरा है, लेकिन दूसरा हाफ खिंचा हुआ लगता है। फिल्म लिंग समानता और महिलाओं की पहचान जैसे मुद्दों को छूती जरूर है, लेकिन उन्हें पूरी तरह विकसित नहीं कर पाती।
संगीत और तकनीकी पक्ष (Music & Technical Aspects)
फिल्म का संगीत ऊर्जावान और शादी वाले माहौल के मुताबिक है, लेकिन कोई भी गाना ऐसा नहीं है जो लंबे समय तक दिमाग में रह जाए। ‘पनवाड़ी’ सबसे लोकप्रिय ट्रैक है, जबकि ‘बिजुरिया’ (एक पुराने गाने का रीमेक) और ‘इश्क मंजूर’ जैसे गाने बस ठीक-ठाक हैं। बैकग्राउंड स्कोर माहौल बनाए रखता है।
सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है। उदयपुर के शानदार लोकेशन और शादी की चमक-दमक को कैमरे ने बखूबी कैद किया है। कॉस्ट्यूम्स और सेट डिजाइन भी उतने ही भव्य हैं, जितनी उम्मीद एक धर्मा प्रोडक्शन फिल्म से होती है।
कमजोरियां (Weak Points)
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परिवार के किरदारों को गहराई नहीं दी गई, जबकि कहानी उन्हीं पर टिकी है।
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प्लॉट अनुमानित है और दर्शक आसानी से अंत का अंदाजा लगा सकते हैं।
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दूसरा हाफ धीमा और खिंचा हुआ महसूस होता है।
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ट्रेलर में ही फिल्म के कई मजेदार पल दिखा दिए गए हैं।
क्यों देखें और क्यों न देखें?
क्यों देखें? 👍
- वरुण धवन की शानदार वापसी और कॉमिक टाइमिंग |
- त्योहारों के मौके पर हल्के-फुल्के मनोरंजन की चाहत |
क्यों न देखें? 👎
- अगर आप नई और अनोखी कहानी की तलाश में हैं |
- अगर आप गहरी कहानी और मजबूत पात्र पसंद करते हैं |
निष्कर्ष: (The Final Word)
“Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari” एक “वन-टाइम वॉच” फिल्म है. अगर आप बिना कुछ सोचे-समझे, सिर्फ अपने दोस्तों या परिवार के साथ त्योहारों के मौके पर हंसी-मजाक और गाने-डांस का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है। लेकिन अगर आप किसी नई कहानी, गहरे संवाद या यादगार एक्टिंग की तलाश में हैं, तो आपको यह फिल्म निराश कर सकती है। यह फिल्म पुराने ढर्रे पर चलती है, लेकिन वरुण धवन की वापसी और कुछ हंसाने वाले पल इसे दर्शकों तक पहुंचा देते हैं। इसे सिनेमा हॉल में नहीं, बल्कि OTT पर देखना ज्यादा अच्छा रहेगा।
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प्रश्न . क्या ‘Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari’ वाकई ‘Humpty Sharma’ और ‘Badrinath Ki Dulhania’ जैसी है?
उत्तर : ज्यादा नहीं। हालांकि यह उसी निर्देशक और एक्टर की जोड़ी की फिल्म है, लेकिन इसकी चमक-दमक और भव्यता के आगे कहानी और भावनाएं कहीं खो सी गई हैं। पुरानी फिल्मों का मासूम चर्म इस फिल्म में नहीं दिखता.
प्रश्न. क्या जाह्नवी कपूर अलिया भट्ट की जगह ले पाती हैं?
उत्तर :फिल्म देखते वक्त अक्सर अलिया भट्ट की याद आती है, खासकर उन दृश्यों में जो उनके और वरुण के केमिस्ट्री वाले हैं। जाह्नवी ने पूरी कोशिश की है, लेकिन भावनात्मक दृश्यों में वह अलिया जैसा असर नहीं दिखा पाईं.
प्रश्न. क्या फिल्म ‘Kantara: Chapter 1’ के साथ टक्कर ले पाएगी?
उत्तर :यह देखना दिलचस्प होगा। ‘सनी संस्कारी…’ एक हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी है, जबकि ‘कांतारा’ एक एक्शन-ड्रामा फिल्म है। दोनों फिल्मों का जॉनर अलग है, इसलिए दोनों की अपनी अलग ऑडियंस हो सकती है.
प्रश्न. क्या फिल्म पारिवारिक दर्शकों के साथ देखने लायक है?
उत्तर :हां, फिल्म में कोई विलन नहीं है और हिंसा भी नहीं है. यह पारिवारिक दर्शकों के साथ देखने लायक है, हालांकि कुछ जगहों पर यह उबाऊ हो सकती है.
प्रश्न. फिल्म की सबसे बड़ी खूबी और सबसे बड़ी खामी क्या है?
उत्तर : सबसे बड़ी खूबी है वरुण धवन का अभिनय और फिल्म के फन मोमेंट्स। सबसे बड़ी खामी है कहानी का अनुमानित होना और दूसरे हाफ का लंबा और उलझा हुआ होना.