The Bengal Files Review: जब इतिहास और आज का सच टकराते हैं

The Bengal Files Review: द बंगाल फाइल्स सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह उन सवालों की गूंज है जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह कहानी 1946 के कोलकाता और नोआखली दंगों की पृष्ठभूमि को एक मौजूदा CBI केस से जोड़ती है, जिसमें एक आदिवासी लड़की की गुमशुदगी की जांच की जा रही है।

मुख्य किरदार शिव पंडित, जिसे नमाशी चक्रवर्ती ने निभाया है, एक CBI अफसर है। वह इस केस की तह तक जाते हुए इतिहास और वर्तमान के धागे जोड़ने की कोशिश करता है। फिल्म का पहला हिस्सा सीधा झकझोर देता है, जबकि दूसरा हिस्सा भावनाओं और तथ्यों को और गहराई से सामने रखता है।

अभिनय की बात करें तो नमाशी चक्रवर्ती का अभिनय सहज है, लेकिन उनकी आँखों की बेचैनी कहानी को असल अहसास देती है। पल्लवी जोशी और अनुपम खेर ने अपने किरदारों में गहरी छाप छोड़ी है। मिथुन चक्रवर्ती अपनी मौजूदगी और अनुभव से फिल्म को और मजबूत बनाते हैं। वहीं दर्शन कुमार और सास्वता चटर्जी जैसे कलाकार सपोर्टिंग रोल में विश्वसनीय लगते हैं और कहानी को संतुलन देते हैं।

निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने अपनी “Files Trilogy” को आगे बढ़ाया है। द ताशकंद फाइल्स और द कश्मीर फाइल्स के बाद अब यह तीसरी कड़ी है। डायरेक्शन इंटेंस और साफ इरादे वाला है, हालांकि कुछ जगह संवाद ज़रूरत से ज्यादा नाटकीय महसूस होते हैं। इसके बावजूद फिल्म का असर गहरा है।

कुल मिलाकर, ‘The Bengal Files’ इतिहास की घटनाओं को सिर्फ याद नहीं दिलाती, बल्कि यह भी दिखाती है कि उनका असर आज भी हमारे समाज और राजनीति पर किस तरह कायम है। यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है और सवालों के साथ-साथ भावनाओं का बोझ भी छोड़ जाती है।

 मेरी रेटिंग

⭐ ⭐ ⭐ (3/5)

एक इमारत जो सामने मजबूत दिखती है, पर अंदर पक्की नींव में दरार की आहट है। प्रभावित करता है, मगर कहीं-कहीं टेंशन छोड़कर भागता नहीं।

 People also ask for … 

  • The Bengal Files कब रिलीज़ हुई? 
  •  5 सितम्बर 2025
  • क्या फिल्म OTT पर आएगी? 
  •  अभी केवल थिएट्रिकली, 
  • क्यों विवादित बनी?  
  •  ट्रेलर लॉन्च रोका गया, कुछ परिवार से कानूनी नोटिस, सेंसर और रिलीज़ में देरी  
  • फिल्म की कंट्रोवर्सी क्यों? 
  •  इतिहास की प्रस्तुति पर बहस, विरोध और सेंसर की बाधा। 
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संजय कुमार

मैं खबर काशी डॉटकॉम के लिए बतौर एक राइटर जुड़ा हूं। सिनेमा देखने का शौक है तो यहां उसी की बात करूंगा। सिनेमा के हर पहलू—कहानी, अभिनय, निर्देशन, संगीत और सिनेमैटोग्राफी—पर बारीकी से नजर रहती है। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं दर्शकों को ईमानदार, साफ-सुथरी और समझदारी भरी समीक्षा दूँ, जिससे वो तय कर सकें कि कोई फिल्म देखनी है या नहीं। फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज का आईना भी होती हैं—और मैं उसी आईने को आपके सामने साफ-साफ रखता हूँ।"

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