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उत्तर प्रदेश का अनोखा शिव मंदिर, जहां महादेव को चढ़ाई जाती है झाड़ू!

भारत विविध आस्थाओं और परंपराओं का देश है, और उत्तर प्रदेश उसकी आत्मा। इस राज्य को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में पहचाना जाता है — एक ऐसी भूमि, जहां काशी विश्वनाथ की दिव्यता, मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्मस्थान और अयोध्या में श्रीराम की पावन स्मृति बसी हुई है।

इन्हीं ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के बीच उत्तर प्रदेश में एक और अनोखा शिव मंदिर है, जो अपने चमत्कारों और विशेष परंपराओं के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव को फूल नहीं, झाड़ू चढ़ाई जाती है। यह सुनकर आपको अजीब जरूर लगेगा, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में गहरी धार्मिक आस्था छुपी हुई है।

devotees placing new brooms as offerings in

पातालेश्वर महादेव मंदिर, अनोखी आस्था का केंद्र

यह अनोखा मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बहजोई क्षेत्र के सादात बाड़ी गांव में स्थित है। इसे पातालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर का इतिहास करीब 119 साल पुराना है। वर्षों से यहां भक्त भोलेनाथ को झाड़ू चढ़ाते आ रहे हैं। यह परंपरा आज भी उतनी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है।

क्यों चढ़ाई जाती है झाड़ू?

झाड़ू, जो आमतौर पर सफाई का प्रतीक मानी जाती है, इस मंदिर में दुखों की सफाई का माध्यम मानी जाती है। भक्तों का मानना है कि:

* महादेव को झाड़ू चढ़ाने से जीवन की परेशानियाँ, दुख और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

* यह एक प्रायश्चित जैसा कार्य है, जिसमें भक्त अपने जीवन की बुराइयों और पापों की शुद्धि की कामना करते हैं।

* हिंदू धर्म में झाड़ू को पवित्रता, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक माना गया है।

यह परंपरा न केवल अटूट आस्था का उदाहरण है, बल्कि यह बताती है कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए भावनाएं सबसे महत्वपूर्ण होती हैं।

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🗺️ मंदिर कैसे पहुंचे..?

 

🚆 रेल मार्ग से..!

 

* सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है बहजोई, लेकिन यहां सभी शहरों से ट्रेनें नहीं चलती।

* बेहतर विकल्प है अलीगढ़ रेलवे स्टेशन वहां से टैक्सी या लोकल ट्रांसपोर्ट से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

🚌 सड़क मार्ग से..!! 

* अलीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

* अलीगढ़ से दादरी की ओर बढ़ते हुए आप मंदिर तक आराम से पहुंच सकते हैं।

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निष्कर्ष: अनोखी परंपरा, गहरी श्रद्धा.

पातालेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भक्ति, परंपरा और आस्था का जीवंत उदाहरण है। झाड़ू जैसी एक साधारण वस्तु यहां भक्तों के विश्वास की सबसे बड़ी निशानी बन चुकी है।

यदि आप किसी अनोखे धार्मिक अनुभव की तलाश में हैं, तो इस मंदिर की यात्रा जरूर करें। यह स्थान आपको केवल आध्यात्मिक शांति ही नहीं देगा, बल्कि यह भी सिखाएगा कि सच्ची भक्ति किसी भी सीमा या परंपरा की मोहताज नहीं होती।

 

संजय कुमार

मैं खबर काशी डॉटकॉम के लिए बतौर एक राइटर जुड़ा हूं। सिनेमा देखने का शौक है तो यहां उसी की बात करूंगा। सिनेमा के हर पहलू—कहानी, अभिनय, निर्देशन, संगीत और सिनेमैटोग्राफी—पर बारीकी से नजर रहती है। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं दर्शकों को ईमानदार, साफ-सुथरी और समझदारी भरी समीक्षा दूँ, जिससे वो तय कर सकें कि कोई फिल्म देखनी है या नहीं। फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज का आईना भी होती हैं—और मैं उसी आईने को आपके सामने साफ-साफ रखता हूँ।"

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