Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को पितरों की शांति और आशीर्वाद के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन तर्पण, दान और भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि पितरों के तर्पण में काले तिल का प्रयोग क्यों किया जाता है?
मार्गशीर्ष अमावस्या कब है?
दृक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या 19 नवंबर सुबह 9:43 से शुरू होकर 20 नवंबर दोपहर 12:16 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार अमावस्या 20 नवंबर को मानी जाएगी।
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं मार्गशीर्ष मास को भगवद गीता में “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” कहकर सभी मासों में श्रेष्ठ बताया है। इस पवित्र मास की अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पितरों को प्रसन्न करने और उन्हें तृप्ति प्रदान करने के लिए काले तिल और जल के साथ तर्पण या जल देना खास माना गया है।
काले तिल का विशेष महत्व क्यों?
-
धर्मशास्त्रों में काले तिल को पितरों का प्रिय माना गया है।
-
माना जाता है कि काले तिल में सभी तीर्थों का पुण्य समाहित होता है।
-
इसमें सूर्य और अग्नि की ऊर्जा होती है, जो पितरों को सूक्ष्म रूप में तृप्ति प्रदान करती है।
-
काला रंग शनि और यम से जुड़ा है, इसलिए यह पितृ दोष और बाधाएं दूर करने में सहायक माना जाता है।
-
‘तिलोदकं स्वधा नमः’ कहकर काले तिल मिश्रित जल अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
पितरों की कृपा पाने के लिए क्या करें मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन?
पवित्र स्नान: अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में नदी का जल मिलाकर, अपने पितरों का ध्यान करते हुए स्नान करें।
दान-पुण्य: पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद पितरों के नाम से गेहूं, चावल और काले तिलों का दान करना शुभ माना जाता है।
अन्य दान: साबुत उड़द और कंबल का दान करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितर सुखी और प्रसन्न रहते हैं और राहु तथा केतू का नकारात्मक प्रभाव भी कम होता है।
पक्षी सेवा: इस दिन पक्षियों को दाना खिलाना बहुत शुभ होता है, क्योंकि धार्मिक मान्यता है कि पितर पक्षियों के रूप में आकर दाना ग्रहण करते हैं।
पीपल पूजा: अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में जल देना और दीपक जलाना भी शुभकारी होता है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। खबर काशी इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।









