Chandrayaan-3: देशवासियों के लिए खुशखबरी है। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission) ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान 3 लैंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो चुका है। ये सभी अब अलग-अलग यात्रा करेंगे। यानी मिशन एक कदम और आगे बढ़ गया है। गौरतलब बात है कि चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन की कतार में शामिल हो गया। हालाँकि, किसी अन्य देश ने कभी भी चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव को नहीं छुआ है।
लैंडर मॉड्यूल शुक्रवार को चंद्रमा के आसपास की थोड़ी निचली कक्षा में उतरेगा
इसरो ने इसकी ताजा तस्वीरें जारी की हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब लैंडर मॉड्यूल शुक्रवार को चंद्रमा के आसपास की थोड़ी निचली कक्षा में उतरेगा। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर और रोवर होते हैं। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘‘लैंडर मॉड्यूल ने कहा, यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त। लैंडर मॉड्यूल, प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। कल लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार करीब चार बजे डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में उतरने की संभावना है।’’
Animation on Chandrayaan 3 Moon landing. (ISRO)pic.twitter.com/fO2FrUCMwM
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) August 17, 2023
अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किए हुए एक महीना और दो दिन हो गए हैं। अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद यह 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश कर गया और उसके निकट पहुंचता गया। जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ता गया तो इसरो ने चंद्रयान-3 की कक्षा को धीरे-धीरे घटाने और उसे चंद्रमा के ध्रुव बिंदुओं पर तैनात करने की प्रक्रियाओं को अंजाम दिया।
Chandrayaan-3 Mission:
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
— ISRO (@isro) August 17, 2023
बता दें कि चंद्रयान 3 से पहले भारत द्वारा चंद्रयान -1 के बाद अपने दूसरे चंद्र अन्वेषण मिशन ‘चंद्रयान-2’ को 22 जुलाई, 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान -2 भारत द्वारा चंद्रमा की सतह पर उतरने का पहला प्रयास था। इसरो द्वारा इस मिशन के माध्यम से चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना बनाई गई थी। हालाँकि लैंडर विक्रम ने सितंबर 2019 में चन्द्रमा की सतह पर ‘हार्ड लैंडिंग’ की। इसका ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा की कक्षा में है और इसके मिशन की अवधि सात वर्ष है।
चंद्रयान 2 के प्रमुख वैज्ञानिक परिणामों में चंद्र सोडियम के लिए पहला वैश्विक मानचित्र, क्रेटर आकार वितरण पर ज्ञान बढ़ाना, आईआईआरएस उपकरण के साथ चंद्र सतह के पानी की बर्फ का स्पष्ट पता लगाना और बहुत कुछ शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान-1 मिशन के दौरान, उपग्रह ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक परिक्रमाएँ कीं और 29 अगस्त 2009 को अंतरिक्ष यान के साथ संचार टूट जाने पर मिशन समाप्त हो गया।
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