Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद में आज आएगा फैसला, हिंदू पक्ष के वकील ने कहा- फैसला मील का पत्थर साबित होगा

gyanvapi masjid case: काशी विश्वनाथ मंदिर – ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर वाराणसी की जिला अदालत आज फैसला सुनाएगी। दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका पर  वाराणसी (Varanasi) की जिला अदालत ने 14 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक जांच कराने की मांग से संबंधित मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 21 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि आज एएसआई सर्वेक्षण पर फैसला आने वाला है जिसकी हमने मांग की थी, परिसर में सील किए गए क्षेत्र को छोड़कर क्योंकि सील किए गए क्षेत्र का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक उस पर फैसला नहीं सुनाया जाता है, तब तक क्षेत्र में एएसआई सर्वेक्षण नहीं किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने अपने पक्ष रखे थे और मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति जताई थी। आज का फैसला हमारे लिए एक मील का पत्थर साबित होगा । ये भी पढ़ेंः महिला पहलवान उत्पीड़न मामलाः पहलवानों को लगा बड़ा झटका! WFI के निवर्तमान अध्यक्ष Brij Bhushan Sharan Singh को मिली जमानत

14 जुलाई को ज्ञानवापी मामले में बहस पूरी हो गई थी

वाराणसी के जनपद न्‍यायाधीश ए के विश्‍वेश ने 14 जुलाई को दोनों पक्षों सुना था।  हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि हमने वजुखाने को छोड़ कर सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग अदालत के समक्ष रखी थी।

मुस्लिम पक्ष ने अदालत के समक्ष ये दलील रखी थी

जैन ने बहस के दौरान अपनी दलील में अदालत से कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर – ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को पूरे मस्जिद परिसर की पुरातात्विक जांच द्वारा ही हल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत के समक्ष ये दलील रखी कि पुरातात्विक सर्वेक्षण से परिसर को नुकसान पहुंच सकता है, जिस पर हमने अदालत के समक्ष परिसर को बिना नुकसान पहुंचाए आधुनिक तरीके से जांच कराने की मांग रखी। ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने 22 मई को अपनी आपत्ति दाखिल की थी।यह याचिका 5 महिलाओं द्वारा दायर की गई है जिसमें मंदिर परिसर के अंदर शृंगार गौरी स्थल पर पूजा पाठ करने की इजाजत मांगी गई थी।

शिवलिंग बनाम फव्वारा

गौरतलब है कि मस्जिद परिसर के अंदर एक संरचना है जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग मानता है जबकि दूसरा पक्ष इसे फव्वारा बताता है। हाईकोर्ट ने 12 मई को वाराणसी जिला न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 14 अक्टूबर, 2022 को “शिवलिंग” के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। कोर्ट ने जिला न्यायाधीश को “शिवलिंग” की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू पक्ष के आवेदन पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी और तीन अन्य ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

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