नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी आज शाम 7 बजकर 15 मिनट पर तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में पद और गोपनीयत की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति भवन में इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस शपथ ग्रहण समारोह में 7 विदेशी मेहमानों समेत कुल 8000 लोग शामिल होंगे। शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति भवन में डिनर की व्यवस्था भी की गई है।
हालांकि लोग यह जानने चाहते हैं आखिर प्रधानमंत्री ने शपथ ग्रहण के लिए शाम 7ः15 बजे का ही वक्त क्यों चूना है? क्या यह प्रोटोकॉल का हिस्सा या फिर कुछ और बात है।
पिछले दोनों बार नरेंद्र मोदी ने शाम 6 बजे के बाद ही पीएम पद की शपथ ली थी। जबकि जवाहर लाल नेहरू ने पहले पीएम के रूप में सुबह 8 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
इसके लिए कोई प्रोटोकॉल नहीं होता है। शपथ ग्रहण की तारीख तय होने के बाद समय चुनने को लेकर संविधान या विधायिका की तरफ से कोई प्रोटोकॉल नहीं है। पार्टी अपनी सहूलियत के हिसाब से समय का चयन करते हैं।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद राष्ट्रपति भवन में मेहमानों के लिए रात्रि भोज की व्यवस्था होती है। एक कारण यह भी हो सकता है कि शाम को शपथ लेने के तुरंत बाद सभी लोग राष्ट्रपति भवन के डिनर में शामिल हो जाते हैं।
लेकिन इसके पीछे एक ठोस कारण ज्योतिष को बताया गया है। जानकारी के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ने ज्योतिष के हिसाब से इस घड़ी का चयन किया है। चूंकि पीएम मोदी ग्रह, दशाओं और ज्योतिष में विश्वास करते हैं, लिहाजा अपने शपथ के लिए इसी हिसाब से समय का चुनाव किया है।
पीएम मोदी की राशि वृश्चिक है। इसलिए उन्होंने 9 जून की शाम को वृश्चिक लग्न को ही शपथ ग्रहण के लिए चुना है। ताकि पूरे पांच साल सत्ता पक्ष मजबूत बना रहे है और बिना किसी रूकावट के सरकार चलती रहे।
ज्योतिषाचार्य पंडित हर्षित मोहन शर्मा के अनुसार, नरेंद्र मोदी गोधूलि बेला में शपथ लेंगे जो बहुत अच्छा समय माना जाता है। राजनीति में सूर्य का विशेष स्थान माना गया है। मोदी की वृश्चिक लग्न की कुंडली है और उनकी राशि भी वृश्चिक है। लग्न में मंगल देवता और चंद्र देवता विराजमान है जो सूर्य के मित्र हैं। इनका योग बनने से व्यक्ति निडर, साहसी, पराक्रमी बनता है।
नरेंद्र मोदी के तीसरी बार पीएम बनने को लेकर उनके प्रशंसकों में काफी उत्सुकता है। देश और विदेश में इसके जश्न की तैयारी की गई हैं। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी के साथ 40 मंत्री भी शपथ लेंगे।