Ratan Tata passed away: बिजनेस टाइकून रतन टाटा का निधन हो गया है। वह 86 वर्ष के थे। रतन टाटा उम्र से संबंधित बीमारियों के चलते ब्रिच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे, का निधन हो गया है। टाटा समूह ने उनके निधन की पुष्टि की है। रतन टाटा, जो 1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व कर चुके हैं, अपने उद्यमशीलता और परोपकारी प्रयासों के लिए विश्वभर में सम्मानित थे।
विजय की कहानी: नेतृत्व में अभूतपूर्व वृद्धि
रतन टाटा ने मार्च 1991 में टाटा समूह की कमान संभाली और दिसंबर 2012 तक समूह का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में, टाटा समूह ने अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कदम रखते हुए कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। सबसे महत्वपूर्ण अधिग्रहणों में 2000 में ब्रिटिश कंपनी टेटली टी को 450 मिलियन डॉलर में खरीदना था। इसके बाद 2007 में कोरस स्टील का 8 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया गया, जिसने समूह को वैश्विक पटल पर और मजबूती दी। हालांकि, यह अधिग्रहण समूह के लिए एक चुनौती बना रहा।
2008 में, टाटा मोटर्स ने जगुआर लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदा, जो टाटा मोटर्स के राजस्व का तीन-चौथाई हिस्सा बनाता है। ये तीन बड़े अधिग्रहण टाटा समूह को ब्रिटेन में सबसे बड़ा नियोक्ता बनाने में सहायक रहे।
Shri Ratan Tata Ji was a visionary business leader, a compassionate soul and an extraordinary human being. He provided stable leadership to one of India’s oldest and most prestigious business houses. At the same time, his contribution went far beyond the boardroom. He endeared… pic.twitter.com/p5NPcpBbBD
— Narendra Modi (@narendramodi) October 9, 2024
सॉफ्टवेयर से लेकर नमक तक: विविधता में सफल समूह
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी बनी, जिसने इंफोसिस और विप्रो को पीछे छोड़ते हुए 2 ट्रिलियन रुपये की वार्षिक आय और 60,000 करोड़ रुपये का मुनाफा अर्जित किया। इसके साथ ही, उन्होंने 2010 में भारत को एक सस्ती और अनोखी कार “टाटा नैनो” दी, जो सिर्फ 1 लाख रुपये में उपलब्ध थी।
सादगी से शिखर तक का सफर
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नेवल टाटा और सूनू कमिसारियट के घर हुआ था। उनका बचपन संघर्षपूर्ण था, क्योंकि उनके माता-पिता का तलाक तब हुआ जब वह सिर्फ सात साल के थे। उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने पाला। उन्होंने 1962 में न्यूयॉर्क के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में डिग्री हासिल की और 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
समर्पण और परोपकार का प्रतीक
टाटा समूह के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, रतन टाटा ने समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। हालांकि उनके कार्यकाल में कुछ विवाद भी हुए, जैसे कि 2G घोटाले के समय टाटा टेलीकॉम पर आई चुनौतियां, लेकिन उन्होंने हर बार समूह को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया। 2012 में उन्होंने 75 वर्ष की आयु में चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया और साइरस मिस्त्री को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
रतन टाटा का निधन भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी उदारता, दूरदर्शिता और परोपकारी कार्यों ने उन्हें एक अद्वितीय उद्योगपति बना दिया।