Varanasi News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी किया। यह नोटिस हिंदू याचिकाकर्ताओं की उस याचिका पर जारी हुआ, जिसमें मस्जिद के सीलबंद क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा जांच कराने की मांग की गई थी।
विवाद का केंद्र: शिवलिंग या फव्वारा?
2022 में ज्ञानवापी परिसर में एक सर्वे के दौरान वजूखाना क्षेत्र में “शिवलिंग” पाए जाने का दावा किया गया था। मुस्लिम पक्ष ने इसे “फव्वारा” बताया, जबकि हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग मानते हुए धार्मिक महत्व का स्थान बताया। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में विवादित क्षेत्र को सील कर दिया था।
ASI सर्वेक्षण पर जोर
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ASI का सर्वेक्षण सभी तहखानों और मुख्य गुंबद के नीचे मौजूद संरचनाओं पर नहीं हुआ। उन्होंने न्यायालय से इन क्षेत्रों की जांच का आदेश देने का अनुरोध किया। मुस्लिम पक्ष ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि यह “पूजा स्थल अधिनियम, 1991” का उल्लंघन है, जो 1947 में धार्मिक स्थलों की स्थिति को यथावत बनाए रखने का प्रावधान करता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ASI को ज्ञानवापी मस्जिद के कुछ हिस्सों का सर्वे करने की अनुमति दी थी, लेकिन सीलबंद क्षेत्र को इससे बाहर रखा गया था। हाईकोर्ट ने यह भी माना कि 1993 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हिंदू प्रार्थनाओं को रोकने का आदेश अवैध था।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी संबंधित मुकदमों को एक साथ सुनने के लिए एकल जिला अदालत को स्थानांतरित किया जाएगा। न्यायालय ने पक्षकारों को 17 दिसंबर तक अपने तर्क प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
पृष्ठभूमि और विवाद का स्वरूप
ज्ञानवापी मस्जिद के हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा मंदिर को ध्वस्त कर बनाई गई थी। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब से पहले हुआ था। हिंदू याचिकाकर्ताओं ने भगवान विश्वेश्वर मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग की है।
मामले का महत्व
यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक दावों के टकराव का प्रमुख उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल इस विवाद के कानूनी समाधान को प्रभावित करेगा, बल्कि भविष्य में इसी तरह के अन्य मामलों की दिशा भी तय करेगा।
आने वाली सुनवाई में सभी पक्ष अपनी दलीलें पेश करेंगे, जिससे इस ऐतिहासिक मामले की दिशा स्पष्ट होगी।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: अब तक की प्रमुख घटनाएं
- 1991: वाराणसी के साधु-संतों ने पहली बार सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी। मस्जिद प्रबंधन समिति ने इसका विरोध किया, इसे उपासना स्थल कानून, 1991 का उल्लंघन बताया।
- 2019: अयोध्या विवाद के फैसले के बाद मस्जिद का सर्वे कराने की नई याचिका दाखिल हुई।
- 2021: पाँच हिंदू महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की।
- 2022: अप्रैल में वाराणसी सिविल कोर्ट ने मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी के आदेश दिए।
मस्जिद परिसर में शिवलिंग का दावा
- मई 2022 में सर्वे के दौरान वजूख़ाना क्षेत्र में शिवलिंग पाए जाने का दावा किया गया। मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया।
- सिविल कोर्ट ने वजूख़ाने को सील करने और नमाज़ पर रोक लगाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नमाज़ जारी रखने की अनुमति देते हुए शिवलिंग की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।
कानूनी प्रक्रियाएं और विरोध
- मस्जिद प्रबंधन ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सर्वे के खिलाफ अपील की, जिसे खारिज कर दिया गया।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में मस्जिद में हिंदू प्रार्थना पर रोक को अवैध बताया।
मस्जिद के इतिहास पर विवाद
हिंदू पक्ष का दावा है कि 1699 में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी। मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब से पहले हुआ।
वर्तमान स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को वाराणसी जिला अदालत में भेजा है, जहां 17 दिसंबर को सुनवाई होगी। यह विवाद उपासना स्थल कानून, 1991 और धार्मिक अधिकारों के संतुलन को लेकर महत्वपूर्ण बन गया है।