Maa Movie Review: माँ – सिर्फ फिल्म नहीं, एक माँ की ताकत की गूंज है!

Maa Movie Review: तो दोस्तों, क्या हाल चाल? आज हम हाजिर हैं बॉलीवुड की नई हॉरर थ्रिलर फिल्म ‘मां’ (Maa Movie) का रिव्यू लेकर, जिसने  आज ही आपके नजदीकी सिनेमाघरों और मल्टी प्लेक्स में दस्तक दी है। इस फिल्म का ट्रेलर जब लॉन्च हुआ था, तो सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी बज था। लोगों को काजोल का इंटेंस लुक बहुत पसंद आया था और हॉरर फैंस तो इसे ब्लॉकबस्टर बता रहे थे। तो क्या यह फिल्म वाकई उतनी डरावनी और दमदार है? चलिए,जानते हैं!

Maa Movie Review (फिल्म की कहानी) 

फिल्म की कहानी घूमती है कोलकाता के पास एक गांव चंदरपुर में, जहाँ मां काली की पूजा होती है। लेकिन इसी गांव में एक सदियों पुरानी प्रथा भी है – अगर किसी घर में बेटी पैदा होती है, तो उसे जंगल में दोइत्तो (एक राक्षस) को बलि चढ़ाने के लिए भेज दिया जाता है। कहानी शुरू होती है शुभांकर और अंबिका की बेटी श्वेता से, जो अपनी गर्मियों की छुट्टियों में अपने पापा के गांव चंद्रपुर जाने की जिद करती है। लेकिन शुभांकर और अंबिका उससे चंद्रपुर का एक गहरा राज छिपा रहे हैं। अब आगे क्या होता है, क्या श्वेता को उस राज का पता चलता है, और क्या अंबिका अपनी बेटी को इस खौफनाक प्रथा से बचा पाती है, यही इस फिल्म की कहानी है। बिना स्पॉइल किए इतना बताना चाहूंगा कि कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न आते हैं जो आपको बांधे रखते हैं।

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🎭 Maa Movie Review Hindi (एक्टिंग)

काजोल ने ‘मां’ के किरदार में एक बार फिर साबित कर दिया कि वो बॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक क्यों हैं। उनके चेहरे के एक्सप्रेशन, चाहे वो डर के हों, ममता के हों या गुस्से के, हर भाव बहुत ही रियलिस्टिक लगते हैं। उन्होंने एक ऐसी माँ का किरदार निभाया है जो अपनी बेटी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। रोनित रॉय भी अपने किरदार में काफी दमदार लगे हैं। वो एक ऐसे पिता के रोल में हैं जो अपनी पत्नी और बेटी को इस खतरनाक प्रथा से बचाने की कोशिश करते हैं, फिल्म में इंद्रनील सेनगुप्ता और खेरीन शर्मा जैसे कलाकार भी हैं जिन्होंने अपने-अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है, लेकिन स्क्रीन टाइम के मामले में काजोल और रोनित रॉय ही छाए रहे। वहीं फिल्म में कुछ सीन्स ऐसे हैं जहाँ एक्टर्स थोड़ा ज़्यादा इमोशनल हो गए हैं, खासकर काजोल के कुछ सीन्स में आँसू की ऐसी बरसात होती है कि लगता है जैसे बादल फट गया हो। लॉजिक की बात करें तो हॉरर फिल्मों में थोड़ा-बहुत तो चलता ही है, लेकिन कुछ सीन्स ऐसे हैं जहाँ आप सोचेंगे कि ‘ये कैसे मुमकिन है?’ जैसे कि एक सीन में माँ अकेली ही कुछ हथियारबंद लोगों से भिड़ जाती है और उन्हें धूल चटा देती है। गाने फिल्म में ज़्यादा नहीं हैं, लेकिन जो एक-दो गाने हैं वो कहानी के बीच में ऐसे आते हैं जैसे कोई मेहमान अचानक से बिना बताए घर आ जाए।

🎬 डायरेक्टर, हीरो, हीरोइन और उनकी आखिरी रिलीज फिल्में

अगर हम डायरेक्टर विशाल फुरिया की बात करें तो उन्होंने इससे पहले ‘छोरी’ और ‘छोरी 2’ जैसी हॉरर फिल्में डायरेक्ट की हैं, जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया था। तो ‘मां’ से भी लोगों को वैसी ही उम्मीदें थीं। वहीं, हमारी लीड एक्ट्रेस काजोल की पिछली फिल्म ‘सलाम वेंकी’ (2022) बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी। हालांकि, ओटीटी पर उनकी वेब सीरीज ‘द ट्रायल’ को काफी सराहा गया था। इसलिए ‘मां’ के ज़रिए उनके फैन्स को बड़ी उम्मीदें थीं कि वो बड़े पर्दे पर भी अपना जादू बिखेरेंगी।

🎥 Maa Movie में क्या बढ़िया था, क्या खराब?: 

विशाल फुरिया का डायरेक्शन अच्छा है। उन्होंने कहानी को बांधे रखने की कोशिश की है और हॉरर के कुछ सीन्स वाकई अच्छे बन पड़े हैं। सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है। कोलकाता के गांव के दृश्य और जंगल के सीन्स को बहुत ही खूबसूरती से फिल्माया गया है, जो फिल्म के मिजाज को और भी ज़्यादा गहरा बनाते हैं। म्यूज़िक की बात करें तो हर्ष उपाध्याय, शिव मल्होत्रा और रॉकी खन्ना ने मिलकर ठीक-ठाक काम किया है। कुछ गाने कहानी के साथ चलते हैं, लेकिन कुछ जगहें ऐसी लगती हैं जहाँ गानों की ज़रूरत नहीं थी। एडिटिंग संदीप फ्रांसिस ने की है, और कुछ सीन्स में एडिटिंग बहुत क्रिस्प है, लेकिन कुछ हिस्सों में फिल्म थोड़ी स्लो लगती है और उसे और बेहतर किया जा सकता था। कुल मिलाकर, टेक्निकल डिपार्टमेंट ने अपना काम बखूबी किया है।

माँ फिल्म समीक्षा, क्या है इसका संदेश?

फिल्म ‘मां’ एक बहुत ही ज़रूरी सामाजिक संदेश देती है – बेटियों को बचाने और लिंगभेद को खत्म करने का। यह फिल्म उस अंधविश्वास और रूढ़िवादिता पर करारा प्रहार करती है जिसके चलते आज भी कई जगहों पर बेटियों को बोझ समझा जाता है। लॉजिक की बात करें तो फिल्म में कुछ ऐसी बातें दिखाई गई हैं जो शायद असलियत में होना मुश्किल हैं, लेकिन एक कहानी के तौर पर यह संदेश ज़रूर देती है कि एक माँ अपनी बेटी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, और हमें इस सोच को बदलने की ज़रूरत है।

Maa Movie Review: क्यों देखें, क्यों न देखें  

तो ‘मां’ देखनी चाहिए या नहीं? अगर आप काजोल के फैन हैं और आपको हॉरर के साथ एक इमोशनल कहानी भी पसंद है, तो आप यह फिल्म एक बार ज़रूर देख सकते हैं। यह फिल्म आपको कुछ हद तक डराएगी भी और सोचने पर भी मजबूर करेगी। लेकिन अगर आप एकदम लॉजिकल हॉरर फिल्म देखने के मूड में हैं, तो शायद यह फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरी न उतरे। आप चाहें तो ओटीटी पर आने का इंतज़ार कर सकते हैं या फिर इस टाइम में कोई और काम कर सकते हैं, जैसे कि अपने घर के मकड़ी के जाले साफ करना, जो शायद इस फिल्म से ज़्यादा डरावने और लॉजिकल हों।

⭐रेटिंग : 

  मैं इस फिल्म को 5 स्टार में से  दूंगा साढ़े तीन स्टार। 

1-  स्टार काजोल की बेहतरीन एक्टिंग के लिए, 

1-  स्टार फिल्म की कहानी के गंभीर मुद्दे को उठाने के लिए, 

1-  स्टार फिल्म के डरावने सीन्स और सिनेमैटोग्राफी के लिए, 

और  हाफ स्टार रोनित रॉय के सधे हुए अभिनय के लिए। 

बाकी के डेढ़ स्टार इसलिए काटे गए हैं क्योंकि कहानी थोड़ी खिंची हुई लगती है और कुछ लॉजिकल कमियाँ भी हैं।

तो दोस्तों, ये था फिल्म ‘मां’ का हमारा रिव्यू। उम्मीद है आपको पसंद आया होगा। आप ये फिल्म देखने जा रहे हैं या नहीं, कमेंट करके ज़रूर बताएं! मिलते हैं अगली फिल्म के रिव्यू में, तब तक के लिए बाय-बाय!

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संजय कुमार

मैं खबर काशी डॉटकॉम के लिए बतौर एक राइटर जुड़ा हूं। सिनेमा देखने को शौक है तो यहां उसी की बात करूंगा। सिनेमा के हर पहलू—कहानी, अभिनय, निर्देशन, संगीत और सिनेमैटोग्राफी—पर बारीकी से नजर रहती है। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं दर्शकों को ईमानदार, साफ-सुथरी और समझदारी भरी समीक्षा दूँ, जिससे वो तय कर सकें कि कोई फिल्म देखनी है या नहीं। फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज का आईना भी होती हैं—और मैं उसी आईने को आपके सामने साफ-साफ रखता हूँ।"

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