Greenland: डोनाल्ड ट्रम्प, अमेरिका के राष्ट्रपति-चयनित, अपने विस्तारवादी विचारों को लेकर फिर से सुर्खियों में हैं। चुनाव प्रचार के दौरान जिस महत्वाकांक्षी एजेंडे को उन्होंने आगे बढ़ाया, अब उसे हकीकत में बदलने की बात कर रहे हैं। उनके हालिया बयान ने कनाडा, ग्रीनलैंड और पनामा जैसे क्षेत्रों को अमेरिका के अधीन लाने के उनके इरादों को उजागर किया है।
ट्रम्प ने पनामा नहर और ग्रीनलैंड को अमेरिका की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम बताते हुए इन क्षेत्रों पर नियंत्रण पाने के लिए सैन्य या आर्थिक दबाव का संकेत दिया। वहीं, कनाडा को 51वें राज्य के रूप में जोड़ने का उनका सुझाव भी विवाद का केंद्र बन गया है। इसके जवाब में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रम्प की बातों को पूरी तरह खारिज करते हुए सख्त बयान दिया।
इस रिपोर्ट में हम समझेंगे कि ट्रम्प के इन विवादास्पद प्रस्तावों के पीछे क्या वजह है और ये क्षेत्र अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं।
ग्रीनलैंड, जो उत्तरी अटलांटिक और आर्कटिक महासागर के बीच स्थित है, दुनिया के सबसे बड़े द्वीपों में से एक है। यह डेनमार्क के स्वायत्त क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन अपनी भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों के कारण यह लंबे समय से वैश्विक शक्तियों के आकर्षण का केंद्र रहा है।
ग्रीनलैंड का क्षेत्रफल और आबादी
क्षेत्रफल: ग्रीनलैंड का कुल क्षेत्रफल लगभग 21 लाख वर्ग किलोमीटर है, जो इसे मैक्सिको और सऊदी अरब से भी बड़ा बनाता है।
आबादी: यहां की आबादी करीब 56,000 है, जो मुख्य रूप से इनुइट समुदाय के लोगों से बनी है।
जलवायु और भूगोल: ग्रीनलैंड का अधिकांश हिस्सा (लगभग 80%) बर्फ की मोटी परत से ढका हुआ है। यहां की कठोर जलवायु इसे sparsely populated बनाती है।
ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
भौगोलिक स्थिति:
ग्रीनलैंड यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच स्थित है और आर्कटिक क्षेत्र के पास होने के कारण यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह उत्तरी अटलांटिक और आर्कटिक महासागर के जलमार्गों पर नियंत्रण प्रदान करता है।
पिटुफिक स्पेस बेस (Thule Air Base):
ग्रीनलैंड में स्थित पिटुफिक स्पेस बेस, जिसे पहले Thule Air Base कहा जाता था, अमेरिका के लिए रक्षा के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। यह बेस रूस, चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों से आने वाले संभावित खतरों पर नजर रखने के लिए एक प्रमुख केंद्र है।
प्राकृतिक संसाधन:
ग्रीनलैंड दुर्लभ खनिजों और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिनमें Rare Earth Elements (REE) शामिल हैं। ये खनिज मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उपकरणों के निर्माण में उपयोगी हैं।
ग्रीनलैंड के आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस भंडार होने की संभावना भी है, जिससे यह ऊर्जा संसाधनों का केंद्र बन सकता है।
आर्कटिक में बढ़ती प्रतिस्पर्धा:
ग्रीनलैंड आर्कटिक महासागर तक पहुंच प्रदान करता है, जहां पिघलती बर्फ नई समुद्री व्यापारिक मार्गों का निर्माण कर रही है।
अमेरिका इस क्षेत्र में रूस और चीन की बढ़ती गतिविधियों को संतुलित करना चाहता है।
पिघलती बर्फ और जलवायु परिवर्तन:
ग्रीनलैंड में पिघलती बर्फ से जुड़ी जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
अमेरिका की ग्रीनलैंड पर नजरें क्यों?
अमेरिका ने ऐतिहासिक रूप से ग्रीनलैंड को अपने अधीन लाने की कोशिश की है। 1946 में, तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने डेनमार्क को ग्रीनलैंड के लिए 10 करोड़ डॉलर की पेशकश की थी। ट्रंप प्रशासन ने भी 2019 में इसे खरीदने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन डेनमार्क ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए एक सामरिक और आर्थिक संपत्ति हो सकती है। इसका अधिग्रहण न केवल अमेरिका को रणनीतिक लाभ देगा, बल्कि आर्कटिक में उसकी उपस्थिति को भी मजबूत करेगा। हालांकि, डेनमार्क और ग्रीनलैंड की जनता का ऐसा कोई इरादा नहीं है, जिससे यह प्रस्ताव व्यावहारिक रूप से असंभव प्रतीत होता है।