Gyanvapi ASI Survey Report PDF Image: एएसआई सर्वे की रिपोर्ट आई सामने, ज्ञानवापी में क्या-क्या मिला? देखें तस्वीरें

Gyanvapi ASI survey Report PDF Image: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की ASI द्वारा की गई सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार देर रात सार्वजनिक कर दी गई। ASI की रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी परिसर के अंदर भगवान विष्णु, गणेश और शिवलिंग की मूर्ति पाई गई है। यही नहीं रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूरे परिसर को मंदिर के ढांचे पर खड़ा किया गया है जिसके लिए ASI ने 34 साक्ष्य का जिक्र किया गया है। मस्जिद परिसर के अंदर ‘महामुक्ति मंडप’ नाम का एक शिलापट भी मिला है। ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर था।

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया गया सर्वेक्षण 4 अगस्त, 2023 से 2 नवंबर, 2023 तक चला। इस अवधि में, परिसर की बाहरी दीवारों, शीर्ष, मीनारों और तहखानों में परंपरागत तरीके से और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS), ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) समेत अन्य अत्याधुनिक मशीनों के जरिए साक्ष्यों की जांच की गई।

सर्वे की रिपोर्ट तैयार करने में सबसे अधिक समय GPS से मिली जानकारी का अध्ययन करने में लगा। ज्ञानवापी परिसर में GPS के उपयोग से मिले आंकड़ों का अध्ययन काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NGRI) की टीम ने किया। सर्वे के वक्त विशेषज्ञों के दल ने ज्ञानवापी में GPS के जरिए सैकड़ों वस्तुओं की आभासी छवि प्राप्त की थी। इनका सटीक अध्ययन करके विशेषज्ञों के विचार-विमर्श के बाद वास्तविक छवि तैयारी करने में बहुत सतर्कता बरती गई।

gyanvapi asi survey pdf

सर्वे के चरण

सर्वे को निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया गया था:

  • पहला चरण: परिसर की बाहरी दीवारों, शीर्ष, मीनारों और तहखानों का सर्वेक्षण किया गया। इस चरण में परंपरागत तरीके से साक्ष्यों की जांच की गई।
  • दूसरा चरण: परिसर की बाहरी दीवारों, शीर्ष, मीनारों और तहखानों का GPR और अन्य अत्याधुनिक मशीनों से सर्वेक्षण किया गया। इस चरण में भूमिगत संरचनाओं का पता लगाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
  • तीसरा चरण: GPS से मिली जानकारी का अध्ययन किया गया। इस चरण में, GPR से मिली जानकारी को GPS के साथ मिलाकर एक मानचित्र तैयार किया गया।

क्या होता है जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार )? : धरती के नीचे छिपे रहस्यों का पता लगाने का एक सशक्त उपकरण

जीपीआर या भूभौतिकीय रेडियो सर्वेक्षण एक ऐसा तकनीक है जिसका उपयोग धरती के नीचे मौजूद आकृतियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक में विद्युत चुंबकीय विकिरण का उपयोग किया जाता है। जीपीआर का उपयोग चट्टान, मिट्टी, बर्फ, ताजा पानी सहित विभिन्न प्रकार के माध्यमों में किया जा सकता है। आधुनिक मशीन जमीन के नीचे 15 मीटर (49 फीट) गहराई तक झांक सकती है।

जीपीआर का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • खनिज और तेल खोज
  • भूगर्भीय सर्वेक्षण
  • अवशेषों और इमारतों की खोज
  • पर्यावरणीय निगरानी

जीपीआर एक सटीक और शक्तिशाली उपकरण है जो धरती के नीचे छिपे रहस्यों का पता लगाने में मदद कर सकता है।

Gyanvapi ASI Report in Hindi

सर्वे के निष्कर्ष

सर्वे के निष्कर्षों के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू मंदिरों के अवशेष पाए गए हैं। इनमें शिवलिंग, नंदी की प्रतिमा, और अन्य धार्मिक प्रतीकों के अवशेष शामिल हैं। सर्वे के निष्कर्षों से यह संकेत मिलता है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर मौजूद था, जिसे बाद में तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था।

सर्वे पर विवाद

सर्वे रिपोर्ट पर कुछ लोगों ने विवाद भी किया है। कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि रिपोर्ट पक्षपाती है और इसमें हिंदू पक्ष के पक्ष में निष्कर्ष दिए गए हैं। कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि रिपोर्ट में कुछ तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

सर्वे के बाद की घटनाएं

सर्वे रिपोर्ट के बाद, हिंदू पक्ष ने मस्जिद के अंदर पूजा करने की अनुमति मांगी है। मुस्लिम पक्ष ने इस मांग का विरोध किया है। मामला वाराणसी की जिला अदालत में चल रहा है। मुस्लिम पक्ष इस लड़ाई को और आगे ले जाने का फैसला किया है।

निष्कर्ष

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है। रिपोर्ट के निष्कर्ष भारत के इतिहास और संस्कृति के बारे में हमारी समझ को बदल सकते हैं। रिपोर्ट के बाद की घटनाओं पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा। गौरतलब है कि हिंदू याचिकाकर्ताओं ने यह दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था। याचिका के बाद अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था। एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी थी।

सर्वे रिपोर्ट की बड़ी बातें

1. ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर था।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर था। तहखाने की छत जिन खम्भों पर टिकी है वे सब नागर शैली के मंदिर के स्तंभ हैं।  उन्होंने कहा कि इन साक्ष्यों से यह प्रतीत होता है कि 17वीं शताब्दी में औरंगजेब द्वारा जब आदि विशेश्वर का मंदिर तोड़ा गया था तो उसके पूर्व उक्त स्थान पर विशाल मंदिर ही था। मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर एक छोटा कक्ष था। मंदिर के खंभों और अन्य हिस्सों का बिना ज्यादा बदलाव किए मस्जिद के निर्माण में इस्तेमाल किया गया।

2. Gyanvapi ASI Report PDF सामने आई तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि एक हाथ का अवशेष मिला है। यह बाएं हाथ का बताया जा रहा है।

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3. दूसरी तस्वीर में शिवलिंग के नीचे का हिस्सा मिला है जिसे ’योनी पात्र कहा जाता है। एक अन्य तस्वीर में भगवान गणेश की प्रतिमा दिखाई दे रही है, जिसकी ऊंचाई 21 सेंटीमीटर बताई गई है। चौथी तस्वीर में भगवान विष्णु की प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 27 सेंटीमीटर बताई गई है।

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4. मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया था।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया था। मंदिर के कुछ खंभों से हिंदू चिह्नों को मिटाया गया था। मस्जिद की पश्चिमी दीवार पूरी तरह हिंदू मंदिर का हिस्सा है।

5. सर्वे में हिंदू मंदिर के 32 शिलापट और पत्थर मिले हैं।

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सर्वे में 32 शिलापट और पत्थर मिले हैं, जो हिंदू मंदिर होने के साक्ष्य हैं। शिलापटों पर देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ में आलेख लिखे हैं। एक शिलापट में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर लिखा है, जबकि एक अन्य शिलापट में ‘महामुक्ति मंडप’ लिखा है।

6. मस्जिद के कई हिस्सों में मंदिर के स्‍ट्रक्‍चर मिले हैं।

सर्वे में मस्जिद के कई हिस्सों में मंदिर के स्‍ट्रक्‍चर मिले हैं। इनमें से कुछ स्‍ट्रक्‍चरों को तोड़ा नहीं गया है।

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7. मस्जिद के निर्माण संबंधी एक शिलापट पर अंकित समय को मिटाने का प्रयास किया गया है।

सर्वे में मस्जिद के निर्माण संबंधी एक शिलापट पर अंकित समय को मिटाने का प्रयास किया गया है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने के समय इस बात को छुपाने की कोशिश की गई थी।

839 पेज की रिपोर्ट में वजूखाने को छोड़कर हर कोने का एक-एक ब्‍योरा एएसआई ने लिखा

रिपोर्ट में वजूखाने को छोड़कर परिसर के हर कोने का बारीकी से सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में हिंदू मंदिर के कई साक्ष्य मिले, जिनमें शामिल हैं:

  • मंदिर का एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर एक छोटा कक्ष था।
  • मंदिर के खंभों और अन्य हिस्सों का बिना ज्यादा बदलाव किए मस्जिद के निर्माण में इस्तेमाल किया गया।
  • मंदिर के कुछ खंभों से हिंदू चिह्नों को मिटाया गया था।
  • मस्जिद की पश्चिमी दीवार पूरी तरह हिंदू मंदिर का हिस्सा है।
  • सर्वे में 32 शिलापट और पत्थर मिले हैं, जो हिंदू मंदिर होने के साक्ष्य हैं।
  • शिलापटों पर देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ में आलेख लिखे हैं।
  • एक शिलापट में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर लिखा है, जबकि एक अन्य शिलापट में ‘महामुक्ति मंडप’ लिखा है।
  • मस्जिद के कई हिस्सों में मंदिर के स्‍ट्रक्‍चर मिले हैं।

इन सबूतों के आधार पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अब हिन्दुओं को वहां पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी आकृति का भी एएसआई सर्वे होने पर साफ हो जाएगा कि आकृति शिवलिंग ही है और इसके साथ ही कई अन्‍य ऐसे साक्ष्‍य मिलेंगे जो हिंदू पक्ष के दावे को और मजबूत करेंगे।

रिपोर्ट के निष्कर्ष भारत के इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर था, जिसे 17वीं शताब्दी में तोड़कर मस्जिद बनाया गया था। यह रिपोर्ट हिंदू-मुस्लिम विवादों को सुलझाने में मददगार साबित हो सकती है।

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