Ghazipur News: गाजीपुर के दुल्लहपुर क्षेत्र में एक स्कूल कार्यक्रम के दौरान शब्दों की ऐसी चूक सामने आई कि ‘ज्ञान के मंदिर’ में ही भाषा की हत्या होती नजर आई। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी पारस नाथ राय और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा एक विद्यालय पहुंचे, जहां डिजिटल बोर्ड पर ‘शिक्षा का मंदिर’ के स्थान पर ‘शीक्षा का मंदीर’ लिखा गया।
जितनी बड़ी गलती थी, उतनी ही बेफिक्री से उसे स्वीकार भी किया गया। अभिनव सिन्हा ने डिजिटल स्क्रीन पर यह वाक्य स्वयं लिखा और उस पर हस्ताक्षर कर दिए। उसके बाद पारस नाथ राय ने उसी गलत वाक्य के साथ छात्रों को उपदेश भी दे डाला। यह दृश्य कैमरे में कैद हुआ और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां लोग सवाल पूछ रहे हैं – जब शिक्षा देने वाले ही भाषा को बिगाड़ें, तो छात्र क्या सीखेंगे?
गाजीपुर का यह इलाका, विशेषकर जखनिया विधानसभा क्षेत्र, कभी नकल के गढ़ के रूप में बदनाम रहा है। लेकिन आज जब डिजिटल एजुकेशन की बात हो रही है, तब वही क्षेत्र अब नेताओं की भाषाई चूकों को लेकर चर्चा में है।
पारस नाथ राय वही नेता हैं जिन्होंने चुनाव के समय खुद को “चाणक्य का शिष्य” बताकर प्रचार किया था। लेकिन जब उनके सामने शिक्षा की जगह ‘शीक्षा’ और मंदिर की जगह ‘मंदीर’ लिखा गया, तो न सिर्फ उन्होंने उसे सुधारा नहीं बल्कि छात्रों को उसी के आधार पर प्रेरणात्मक भाषण भी दे डाला।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम ने एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है – क्या नेताओं को भाषा और शिक्षा के मूल तत्वों की समझ होनी चाहिए या नहीं? क्या सिर्फ मंच पर खड़े होकर भाषण देना ही पर्याप्त है, भले ही उसमें भाषा की हत्या हो रही हो?
इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं तीखी हैं। कुछ ने इसे शिक्षा व्यवस्था का मज़ाक बताया, तो कुछ ने कहा कि जब “चाणक्य के शिष्य” इस स्तर पर गलती करें, तो छात्रों के भविष्य पर गंभीर प्रश्न उठना स्वाभाविक है।