Zamania News: गुरुवार को जमानियां रेलवे स्टेशन स्थित रामलीला मैदान में रामलीला का मंचन नवरात्र के पहले दिन से आरंभ हो गया। नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने फीता काटकर समारोह का उद्घाटन किया। मंचन से पहले रामचरितमानस के स्तुतिगान और गणपति वंदना के बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती की गई। इसके पश्चात मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं का मंचन प्रारंभ हुआ।
नारद मोह और राम जन्म का मंचन
रामलीला की शुरुआत नारद मोह और राम जन्म के प्रसंग से हुई। इसमें दिखाया गया कि नारद मुनि हिमालय पर तपस्या कर रहे थे, जिसे भंग करने के लिए इंद्रदेव ने कामदेव और नर्तकी उर्वशी को भेजा। लेकिन उनकी तपस्या भंग नहीं हुई, जिससे नारद मुनि को अभिमान हो गया। अभिमान से भरे नारद मुनि ब्रह्मा, शंकर, और भगवान विष्णु के पास पहुंचे।
भगवान विष्णु ने नारद का अभिमान तोड़ने के लिए उन्हें मृत्युलोक भेजा, जहां नारद मोह में फंस गए और राजा शीलनिधि की राजकुमारी लक्ष्मी से विवाह करने के इच्छुक हो गए। विष्णु भगवान ने उनका वानर जैसा मुख बना दिया, जिससे राजकुमारी ने उन्हें ठुकरा दिया। इससे क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि उन्हें भी वानर से सहायता लेनी पड़ेगी। इसके बाद राम जन्म का भावपूर्ण मंचन किया गया, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया।
रामलीला की परंपरा और इतिहास
रामलीला, नवरात्रि के नौ दिनों तक चलने वाली एक प्रसिद्ध लोक-नाट्य परंपरा है, जिसका विकास मुख्य रूप से उत्तर भारत में हुआ था। इसका प्रारंभिक प्रमाण ग्यारहवीं शताब्दी से मिलता है। प्राचीन समय में रामलीला महर्षि वाल्मीकि की ‘रामायण’ पर आधारित होती थी, परंतु आधुनिक रामलीला की पटकथा गोस्वामी तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ पर आधारित है।
ऐसा माना जाता है कि रामलीला का पहला मंचन 16वीं सदी में गोस्वामी तुलसीदास के शिष्यों द्वारा किया गया था। काशी के राजा ने रामचरितमानस के पूर्ण होने पर रामनगर में रामलीला के आयोजन का संकल्प लिया था, जिससे यह परंपरा पूरे देश में फैल गई। तब से रामलीला का मंचन हर वर्ष श्रद्धा और भव्यता के साथ होता आ रहा है।
राधाकृष्ण देव समिति द्वारा आयोजित रामलीला के उद्घाटन के मौके पर समाजसेवी शंकर शर्मा, योगेश गुप्ता, पूर्व सभासद पंकज निगम, सरदार हरमिंदर सिंह, लोहटिया दुर्गा पूजा समिति के सदस्य मौजूद रहे।