Manmohan Singh का कहां बीता बचपन, जानें पूर्व पीएम का कॉलेज और शिक्षा

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके जीवन का सफर संघर्ष, सफलता और देश सेवा का अनुपम उदाहरण है। गुरुवार शाम जब उनकी तबीयत बिगड़ी, तो उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया, लेकिन देश ने इस महान नेता को खो दिया।

Manmohan Singh का बचपन, शिक्षा, कॉलेज 

डॉ. मनमोहन सिंह का अमृतसर शहर से गहरा नाता था। भारत की आजादी के बाद उनका परिवार इसी शहर में आकर बसा। यहीं उनका बचपन बीता और शिक्षा की नींव रखी गई। सामाजिक कार्यकर्ता पवन शर्मा बताते हैं कि मनमोहन सिंह ने अमृतसर के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी। उन्होंने 1948 में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की।

2018 में हिंदू कॉलेज में आयोजित एलुमनी मीटिंग में डॉ. सिंह ने अपनी पुरानी यादों को ताजा किया। उन्होंने कॉलेज के दिनों की घटनाओं को साझा करते हुए छात्रों और मीडियाकर्मियों को बताया कि कैसे इस शहर और कॉलेज ने उनकी सोच और व्यक्तित्व को गढ़ा।

Manmohan Singh आर्थिक सुधारों के जनक

पवन शर्मा ने बताया, “डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक सुधारों की दिशा में अग्रसर किया। अगर आज भारत विश्व मंच पर आर्थिक रूप से मजबूत है, तो इसका श्रेय मनमोहन सिंह को जाता है। उन्होंने न सिर्फ भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि आर्थिक संकट के समय देश को विकास के पथ पर लाने का साहसिक कार्य किया।”

डॉ. सिंह ने 1991 के आर्थिक सुधारों के जरिए भारत को एक नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में बनाए गए नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया।

Manmohan Singh का संघर्ष और सफलता की कहानी

शर्मा ने डॉ. सिंह के संघर्षपूर्ण जीवन को याद करते हुए कहा, “मनमोहन सिंह ने अपनी मेहनत और समर्पण से सफलता की जो ऊंचाईयां हासिल कीं, वह हर किसी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने विनम्रता और गरिमा के साथ हर चुनौती का सामना किया। 2014 के बाद उनके बारे में कई धाराणाएं बनीं, लेकिन उन्होंने शांति और समझदारी से हर सवाल का जवाब दिया।”

भारत रत्न की मांग

सामाजिक कार्यकर्ता पवन शर्मा ने कहा कि डॉ. सिंह के योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। “देश आज भी उनके प्रति ऋणी है। उन्होंने जो किया, उसका कर्ज भारत कभी नहीं चुका सकता। उनकी सादगी, विद्वता और देश सेवा का हर कोई कायल है।”

भारत के प्रिय प्रधानमंत्री Manmohan Singh

डॉ. मनमोहन सिंह 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक लगातार दो कार्यकाल के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, सादगी और कड़ी मेहनत से न केवल देश का नेतृत्व किया, बल्कि हर भारतीय के दिल में एक खास जगह बनाई।

डॉ. मनमोहन सिंह का जाना न केवल राजनीति के लिए, बल्कि हर उस भारतीय के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जो सच्चे नेतृत्व और निष्ठा को मानते हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्ष और विनम्रता से सफलता का मार्ग हमेशा खुला रहता है।

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